पचपदरा में खूब मनमर्जी चला रहे बजरी ठेकेदार, रॉयल्टी से दस गुना अधिक हो रही वसूली
5 साल पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा बजरी खनन पर रोक के बाद अब पचपदरा क्षेत्र में लूणी नदी में 3056 हेक्टेयर में सालाना 25.20 लाख टन बजरी खनन की अनुमति जारी की गई है.
Pachpadra: बालोतरा उपखंड में बजरी के वैध खनन शुरू होने के बाद से आमजन खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. बजरी ठेकेदार द्वारा मनमर्जी से दस गुना अधिक दाम वसूलने के कारण कई सरकारी और निजी निर्माण कार्य अटक गए हैं.
5 साल पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा बजरी खनन पर रोक के बाद अब पचपदरा क्षेत्र में लूणी नदी में 3056 हेक्टेयर में सालाना 25.20 लाख टन बजरी खनन की अनुमति जारी की गई है.
य़ह भी पढ़ें- बाड़मेर: जिला अस्पताल में दो करोड़ की लागत से लगी चार मशीनें, विधायक ने किया लोकार्पण
बजरी के वैध खनन शुरू होते ही ठेकेदार द्वारा 550 रुपये प्रति टन वसूल किये जा रहे है, जिससे पीएम आवास सहित कई सरकारी निर्माण की लागत में भी बढोत्तरी हो गई, जिससे इन योजनाओं के लाभान्वितों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
कोई मुंह खोलने को नहीं है तैयार
बीपीएल आवास के तहत लाभान्वितों को 1.20 लाख रुपये निर्माण सामग्री के मिलते है लेकिन 40 से 50 हजार महज बजरी के चुकाने के बाद बाकी निर्माण सामग्री के लिए कुछ बचत ही नहीं है. ऐसे में कई निर्माण कार्य अटक गए हैं. हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए मुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई लेकिन जिले के बाकी जन प्रतिनिधि इस पर अपना मुंह खोलने को तैयार नहीं है.
दस गुना अधिक वसूले जाते हैं रुपये
लूणी नदी में वैध बजरी खनन में सरकार के राजस्व खाते में 50 रुपये प्रति टन जमा होते हैं, जिसमें 45 रु प्रति टन रॉयल्टी, 10%डीएमएफटी और 2% आरएसएमईटी मिला कर 50.50 रुपये का राजस्व मिलता है लेकिन ठेकेदार द्वारा दस गुना अधिक 550 रुपये प्रति टन वसूल किये जा रहे हैं. ऐसे में एक डम्पर की बजरी के करीब 17 से 20 हजार वसूल किये जा रहे हैं. वहीं, डम्पर जब बालोतरा के अलावा जिले में दूरदराज क्षेत्र तक पहुंचने पर 30 से 35 हजार की कीमत हो जाती है. ऐसे में महंगाई के दौर में इतनी महंगी बजरी खरीद कर निर्माण कार्य करवाना हर किसी के बूते की बात नहीं रही.
स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने पहले बजरी की मनमानी कीमत वसूलने और रॉयल्टी कार्मिकों की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई थी लेकिन पचपदरा में वैध बजरी खनन शुरू होते ही चुप्पी साध ली, जिसको लेकर भी आमजन में चर्चाओं का दौर जारी है.
परिवहन और पुलिस विभाग भी खामोश
बजरी की कीमत ज्यादा होने के कारण बजरी परिवहन कर्ता डम्पर में निर्धारित मापदंडों वजन क्षमता से दोगुना बजरी लोड कर बजरी ले जाने को मजबूर हैं, जिससे गन्तव्य स्थल तक पहुचने पर लागत में कुछ फायदा हो सके. ऐसे में क्षेत्र की सड़कों के क्षतिग्रस्त होने का सिलसिला भी शुरू हो गया. ओवरलोड वाहनों के चलते इलाके की सभी सड़कों की हालत भी बिगड़ती जा रही है लेकिन परिवहन और पुलिस विभाग की मौन स्वीकृति भी सवालों के घेरे में नजर आ रही है.
बाड़मेर की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.