Rajasthan Politics : राजस्थान सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री रहे और बायतू से विधायक हरीश चौधरी इन दिनों सियासी चर्चा में है. ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया. जब इस पर फैसला नहीं हुआ तो सोशल मीडिया के जरिए सीधे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को संबोधित करते हुए ओबीसी की आवाज को मजबूत किया. इसके बाद केसी वेणुगोपाल जब जयपुर आए तो वहां उनको फटकार भी लगी. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का ये भी मानना है कि ये फटकार इसलिए लगी क्योंकि वो ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर अपनी सरकार के खिलाफ खड़े हो गए. अब बाड़मेर पहुंचे हरीश चौधरी ने हेमाराम चौधरी पर जो बयान दिया और उसके बाद जिस तरह से ट्वीट किया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर हरीश चौधरी की सियासी रणनीति क्या है ?


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ओबीसी आरक्षण पर फैसले के बाद हरीश चौधरी पहली बार बाड़मेर पहुंचे तो यहां उनका भव्य स्वागत किया गया. महावीर टाउन हॉल बाड़मेर में हुए अभिनंदन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हरीश चौधरी ने बड़ा बयान दिया. चौधरी ने दावा किया कि ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर हेमाराम चौधरी मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे लेकिन मैनें रोका. क्योंकि अगर वो इस्तीफा देते तो कैबिनेट में हमारी आवाज को मजबूती से कौन उठाता. जो हाथ इस्तीफा देने के लिए कलम पर थे. उसे रोकने का अगर किसी ने गुनाह किया है तो मैं हरीश चौधरी हूं.


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इस बयान के कुछ ही देर बाद हरीश चौधरी ने एक ट्वीट किया. क्रांतिकारी चे ग्वेरा की लाइन को ट्वीट करते हुए कहा कि- मैंने कब्रिस्तान में उन लोगों की भी कब्रें देखी हैं, जिन्होंने इसलिए संघर्ष नहीं किया कि कहीं वे मारे नहीं जाएं. चौधरी का ये ट्वीट केसी वेणुगोपाल पर तंज माना जा रहा था. लेकिन बाद में हरीश चौधरी ने इस ट्वीट को हटा दिया.


हरीश चौधरी की क्या रणनीति ?


हरीश चौधरी राजस्व मंत्री थे. कमलेश प्रजापति एनकाउंटर मामले के कुछ ही वक्त बाद उनको पंजाब प्रभारी बनाया गया. प्रभारी बनने के बाद मंत्री से इस्तीफा दिया. बतौर प्रभारी पंजाब में वो ज्यादा कामयाब नहीं हो पाए. अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने से लेकर दलित सीएम बनाने तक के तमाम फैसलों के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बचा पाए. ऐसे में 2023 विधानसभा चुनावों से पहले चौधरी राजस्थान में अपना सियासी वजूद कायम रखने की कोशिशों में जुटे है. राजस्थान कांग्रेस में पायलट और गहलोत धड़ों से अलग ओबीसी तब को साधने में जुटे है. ओबीसी तबके में भी सियासी तौर पर जाट वोटबैंक उनकी रणनीति का प्रमुख हिस्सा माना जा रहा है. 


पंजाब फॉर्मूले पर भी नजर


सियासी जानकारों के मुताबिक हरीश चौधरी गुट की इस संभावना पर भी नजर है कि कांग्रेस आलाकमान अगर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई विचार करता है और अशोक गहलोत अगर सचिन पायलट के नाम पर अड़ जाते है. तो आलाकमान पंजाब फॉर्मूले पर विचार कर सकता है. पंजाब में जब सिद्धू और अमरिंदरसिंह के बीच टकराव हुआ तो कांग्रेस ने तीसरे विकल्प पर विचार किया. राजस्थान में भी अगर गहलोत-पायलट की लड़ाई के बीच तीसरे विकल्प पर विचार हो वैसी स्थिति के लिए कांग्रेस में चौधरी ओबीसी आरक्षण के जरिए ज्यादा से ज्यादा विधायकों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहे है.


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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में एंट्री करने वाली है. केसी वेणुगोपाल आए और गहलोत-पायलट के बीच कथित सुलह करा गए. इधर जेपी नड्डा भी जयपुर दौरे पर आए. बीजेपी की जन आक्रोश रैली के बहाने पार्टी  नेतृत्व को एकजुट करने के प्रयास कर गए. राजस्थान विधानसभा चुनाव में अब एक साल का वक्त बचा है. राजस्थान के करीब 30 जिलों में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नहीं है. माना जा रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से निकलने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार भी हो सकता है और सभी जिलों में जिलाध्यक्षों के साथ साथ ब्लॉक अध्यक्ष के खाली पदों पर भी राजनीतिक नियुक्ति हो सकती है. ऐसे में प्रदेश में सभी धड़ों का राजनीतिक पारा हाई है. उन हालातों के बीच हरीश चौधरी जिस रणनीति पर चल रहे है. वो प्रदेश की राजनीति के साथ साथ बाड़मेर की राजनीति में कितनी कामयाब होती है. इस पर सबकी नजर है.