सपोटरा: करौली के सपोटरा में अवैध खनन जारी है, जिसके कारण पर्यावरण व वन्यजीव को खतरा उत्पन्न हो गया है. दूसरी ओर सैकडों की तादात में क्षेत्र के विभिन्न सड़क मार्गों से सर्द रात्रि के अंधेरों में दौड़ने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दर्जनों गांवों के लोगों की नींद हराम करने के साथ दुर्घटना का सबब बना हुआ है. 


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अवैध बजरी परिवहन से राज्य सरकार को जहां लाखों रुपए का राजस्व का नुकसान हो रहा है,  वहीं बजरी माफियाओं व मिलीभगत करने वाले मोटी रकम बसूल रहे हैं. सवाई माधोपुर के रणथंभोर वन्यजीव अभ्यारण्य और करौली जिले के कैलादेवी वन्यजीव अभ्यारण्य के बीच से गुजरने वाली बनास नदी में खनन व भू-विज्ञान विभाग द्वारा एलओआई धारकों को जारी बजरी खनन लीज को सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद वर्ष 2017 में बंद कर दिया गया. 


जिसके कारण भारत सरकार के राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण पर्यावरण मंत्रालय द्वारा बजरी खनन की एनओसी नही दी जा रही है. तभी से एलओआई क्षेत्र खंडार,मलारना डूंगर व सपोटरा में बनास नदी से बजरी का खनन व निर्गमन बंद है.


लेकिन जिला व उपखंड प्रशासन की उदासीनता से बनास नदी के हाड़ौती,भूरी पहाड़ी,पंवारपुरा,बड़ पीपल,काठड़ा व श्यामौली घाटे से कुंडेरा व मलारना डूंगर (स.मा.) पुलिस थाना तथा चौकी हाड़ौती,नारौली डांग और सपोटरा व कुड़गांव पुलिस थाने से चारों ओर घिरी बनास नदी में धड़ल्ले से बजरी का अवैध खनन,निर्गमन एक माह से बदस्तूर जारी है. 


बजरी माफियाओं द्वारा लोगों एवं कैमरे की नजर से बचने के लिए बनास नदी के हाड़ौती,काठडा (सपोटरा),श्यामौली व भूरी पहाड़ी (स.मा.) घाटे से हर रोज दिन ढ़लने के बाद रात्रि के अंधेरे में दर्जनों जेसीबी से अवैध बजरी खनन कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से सपोटरा क्षेत्र से मिलीभगत से परिवहन कर रहे हैं.


बनास नदी से बजरी का अवैध परिवहन करने के लिए बजरी माफियाओं द्वारा कई रास्तों का निर्माण कर सपोटरा से निकालने के कारण सड़क मार्गों का कचूमर निकल गया है.


 बजरी से ओवरलोड़ करीब 250-300 ट्रैक्टर-ट्रॉलियां हाड़ौती-बगीदा,ऐकट-कुशालसिंह,जीरोता-रानेटा,खेड़ला- नारौली डांग,नारौली-नारायणपुर, मांढा मोड़ से पूरणपुरा-रामदेव मंदिर जीरोता,मेदपुरा-बलुआपुरा,रानेटा-ताजपुर और सपोटरा-कुड़गांव सड़क मार्गों पर धड़ल्ले से गुजर रही है. जिससे अधिकांश सड़क मार्ग बनने के बाद क्षतिग्रस्त हो गये है.


दूसरी ओर तेज रफ्तार से रात्रि को सड़क मार्गों से सरपट दौड़ रही ओवरलोड़ बजरी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दुर्घटना का सबब बनी हुई है.


 बनास नदी से अवैध बजरी खनन व निर्गमन होने के कारण रणथंभोर व कैलादेवी वन्यजीव अभ्यारण्य के वन्यजीव रात्रि को वाहनों की रोशनियों की चकाचौंध और जेसीबी मशीनों की गड़गड़ाहट से स्वतंत्रता में बाधक बना हुआ है. दूसरी ओर अंधाधुंध जेसीबी मशीन से बनास नदी से अवैध खनन होने से नदी के किनारे बसे गांवों में पानी का जलस्तर रसातल में चला गया है.  जिसके कारण लोगों को सिंचाई व पेयजल उपलब्धता में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.  


क्योंकि जलस्तर नीचे चले जाने से अधिकांश कुंए सूख गए है तथा हैंडपंप हवा फेंक रहे हैं. बजरी माफियाओं द्वारा बनास नदी से रात्रि के अंधेरे में खनन कर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों भरकर रात्रि 12 बजे से सुबह 6 बजे तक सपोटरा क्षेत्र में निकाल कर रहे हैं. दूसरी ओर जिला व उपखंड प्रशासन की किसी प्रकार की कार्यवाही से बचने के लिए पुलिस थाने व पुलिस चौकी तथा सड़क मार्गों के चौराहों पर निगरानी के लिए अपने लोगों को बैठा रखा है. जो किसी खतरे या आला अफसर की गाड़ी आने से मोबाइल से माफियाओं को आगाह करते रहते है.


 दूसरी ओर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के आगे पीछे बाइक व कार से रैकी व अपड़ेट लेकर उन्हे गंतव्य स्थान तक पहुंचा रहे हैं. लेकिन उपखंड प्रशासन बजरी माफियाओं के आगे बौने साबित हो रहे हैं. बजरी माफियाओं द्वारा उपखंड मुख्यालय पर 9 से 10 हजार रुपए में एक ट्रॉली बजरी बेची जा रही है. जिससे लोगों की जेब पर आर्थिक भार पड़ रहा है.


Reporter -Ashish Chaturvedi 


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