Mewaram Jain Viral Video: बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन के खिलाफ दुष्कर्म के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से राहत के बाद से ही मामले में अनुसंधान चल रहा है. राजीव गांधी थाने में दर्ज पॉक्सो एवं दुष्कर्म के मामले में जहां पुलिस अनुसंधान कर रही है. वहीं अब तक पीडिता के 161 व 164 के बयान हो चुके है. सूत्रों की माने तो पीडिता अपने बयानों में मुकर गई है. ऐसे में पीड़िता के पूर्व अधिवक्ता की ओर से विशिष्ठ न्यायालय पॉक्सो एक्ट जोधपुर के समक्ष एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया था. जिसमें वीडियो और फोटोग्राफ पेश करने के तथा स्वयं को साक्षी बनने के लिए पेश किया था. तथाकथित अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उसके पास पीड़िता की ओर से उपलब्ध करवाए गए रिकॉर्डिंग वीडियो तथा फोटोग्राफ से है जो कोर्ट के मार्फत अनुसंधान के लिए प्रस्तुत करना चाहता है ताकि उक्त वीडियो व फोटोग्राफ्स के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ ना हो सके.


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इस प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता सुनील भंवरिया ने प्रार्थी के वीडियो और दस्तावेजों को कूट रचित बताते हुए कोर्ट में कहा कि परिवादिया महिला है उसकी एक निजता और सील है. उसकी बिना अनुमति के गोपनीय संसूचना को कोई भी प्रकट नहीं कर सकता ,जब तक कि किसी को अधिकृत नहीं किया जाता. कोर्ट ने साक्षी बनने और सबूत पेश किए जाने के प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए 14 पेज के आदेश में लिखा था कि प्रार्थी तथा परिवादिया के मध्य अधिवक्ता पक्षकार के संबंध थे. पीड़िता की ओर से इसे समाप्त कर दिए जाने के पश्चात भी भारतीय साक्षी अधिनियम की धारा 125 के तहत पक्षकार को अपने व अपने अधिवक्ता के मध्य हुई सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुरक्षित और संरक्षण रखे जाने का पूर्ण अधिकार हैं. ऐसे में पीड़िता के बिना अनुमति के किसी भी प्रकार के दस्तावेज पेश नहीं किया जा सकते और अधिवक्ता को साक्षी बनाने से इंकार कर दिया था.


मामला अब हाईकोर्ट में


पीडिता की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में भी अपने अधिवक्ता को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है, जिस पर अभी तक सुनवाई नहीं हो पाई है. पीडिता ने इस मामले को लेकर 08 जनवरी, 10 जनवरी, 23 जनवरी और 25 जनवरी तक चार तारीखे जरूर पडी लेकिन हाईकोर्ट में सुनवाई आगे नही बढ पाई है. ऐसे में पीडिता के बयानों से इंकार की पुष्टि अधिकारिक रूप से नहीं की गई है. लेकिन पीडिता ने जिस तरह से अपने पूर्व अधिवक्ता के साक्षी बनने की अर्जी के खिलाफ यह कहा गया कि ना तो कोई विडियो है ना ही कोई पेनड्राइव है. इससे जाहिर होता है कि पीडिता अपने बयानों को बदल रही है. इसकी पुष्टि राजस्थान हाईकोर्ट में जब तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश होगी, तभी हो पाएगी लेकिन अभी तक हाईकोर्ट में तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश नहीं की गई है.


हाईकोर्ट में अब संभवत 14 या 15 फरवरी को हो सकती है क्योंकि कोर्ट ने 25 जनवरी को सुनवाई के दोरान 01 फरवरी की तारीख मुकरर्र की थी लेकिन बाद में अधिवक्ताओं ने तारीख को आगे बढाने का अनुरोध किया जिस पर तारीख बदल दी गई है. ऐसे में मेवाराम को हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक के आदेश है जिससे उन्हे राहत मिली हुई है.