Barmer: बारिश के मौसम के मद्देनजर कृषि विज्ञान केंद्र धाता की ओर से किसानों को प्रोत्साहन करने के लिए बीज पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें कृषि विशेषज्ञों ने किस प्रकार से बीज की बुवाई करनी है. उसको लेकर जानकारी दी. फसल की पैदावार का मुख्य आधार बीज ही है जो किं स्थानीय कृषकों को अधिक एवं सुरक्षित उत्पादन देता है. यह बात राजस्थान राज्य बीज निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक बृज किशोर द्विवेदी ने सोसायटी टू अपलिफ्ट रूरल इकानोमी(श्योर) बाड़मेर द्वारा ल्युसिड कोलाइड के सहयोग से संचालित सतत ग्वार खेती परियोजना के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र दांता में आयोजित एक दिवसीय स्थानीय बीज प्रथाओं एवं जलाभाव सहिष्णुता को प्रोत्साहन विषय की कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप् में बोलते हुए कही.


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कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनय कुमार ने सब्जी एवं फल उत्पादन हेतु उपयुक्त किस्मों एवं इनकी वैज्ञानिक तरीक से अधिक उत्पादन लेने की बारिकीयों के बारे में जानकारी दी. कृषि वैज्ञानिक डॉ श्यामदास ने परम्परागत बीज के दीर्घकालीन रख-रखाव के बारे में जानकारी दी.


परियोजना प्रबंधक शिवगिरी स्वामी ने कहा कि बाडमेर जिले के कृषकों को बदलते मौसम एवं अधिक ग्वार उत्पादन के लिए हर वर्ष स्वयं के खेत से चयनित अधिक संख्य फलीदार स्वच्छ दानेदार पौधों का अलग से खलिहान में लाटा लेकर उन बीजों को आगामी दो फसलों की बुवाई के लिए प्रयोग करें.


अग्रणी कृषक सताराम ने जायडू आम्बाराम नान्द वह पताराम शिव भाखरी बीज निगम के साथ बीजों के उत्पादन खेत प्रदर्शन स्थापित करने में रूचि प्रकट की. परियोजना सहायक समन्वयक कानाराम प्रजापत, पर्यवेक्षक अहदी खान, स्नेहलता वासु, कार्यकर्ता ओसमान खान, अल्लाबक्श ने 8 गावों के कृषकों का पंजीयन कर उन्हें परियोजना गतिविधियों में सक्रिय रूप से जुड़ने का आह्वाहन किया. इस कार्यशाला में 30 महिला कृषकों सहित कुल 90 कृषकों ने भाग लिया.


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