Pachpadra, Barmer News: राजस्थान के बाड़मेर में रिफाइनरी के पास दर्जनों मेडिकल स्टोर पर बन रहे फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल रहे है. रिफाइनरी के पास बिना रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के दर्जनों मेडिकल स्टोर और लेबोरेटरी का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है. इनके द्वारा रिफाइनरी में काम करने वाले मजदूरों के फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे है और पूरा गौरखधंधा 2-3 साल से चल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य महकमा हाथ पर हाथ धरे बैठा है.


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हालांकि नियमों के अनुसार सीएचसी और जिला अस्पताल के डॉक्टर पूरा स्वास्थ्य परिक्षण कर हेल्थ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए अधिकृत है, लेकिन इन मेडिकल स्टोर पर अवैध रूप से मजदूरों के बिना किसी जांच डॉक्टरों और अस्पतालों के फर्जी साइन और सील लगाकर हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे है. इन फर्जी सर्टिफिकेट के बदले में मजदूरों से अच्छी खासी रकम भी वसूल की जा रही है.


ऐसे फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट सामने आने पर पचपदरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ खुशवंत खत्री ने पचपदरा थाने में मामला दर्ज करवाया कि रिफाइनरी के पास बजरंग मेडिकल स्टोर ने पचपदरा सीएचसी और डॉक्टर के फर्जी साइन और सील लगाकर मजदूर का फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट जारी किया है, जो एक अपराध की श्रेणी में आता है.


पचपदरा पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच की, जिसमें बालाजी मेडिकल स्टोर और शेखावटी मेडिकल पर छापे के दौरान फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट और डॉक्टरों और अस्पतालों की डुप्लीकेट सील बरामद की है. पुलिस ने मेडिकल स्टोर संचालक श्रवण पुत्र बीजाराम जाति जाट निवासी माडपुरा बरवाला और दुर्गाराम पुत्र चुनाराम जाट निवासी बायतु चिमनजी को गिरफ्तार किया है. पुलिस की कार्रवाई की भनक मिलते ही अन्य मेडिकल स्टोर संचालक दुकानें बंद कर फरार हो गए. पुलिस द्वारा पूरे मामले में जांच जारी है और फर्जी हेल्थ सर्टिफिकेट बनाने वाले अन्य लोगों की तलाश की जा रही है.


गौरतलब है कि रिफाइनरी में राज्य के साथ बाहरी राज्यों के हजारों मजदूर कार्य कर रहे है. श्रम विभाग नियमानुसार उनके स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही उन्हें कार्य कराने की अनुमति दी जाती है. बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूरों की कुछ लोगों द्वारा बरगला कर और दबाव बनाकर इन्हीं मेडिकल स्टोर पर हेल्थ सर्टिफिकेट बनाए जा रहे है और पैसे वसूल किए जा रहे है. बिना किसी रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के चल रही मेडिकल स्टोर और डाइग्नोसिस्ट लैब अवैध रूप से स्वास्थ्य महकमे पर भी सवाल खड़े हो रहे है.


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मेडिकल स्टोर, लैब और अस्पताल के लिए विभाग द्वारा लाइसेंस मिलने के बाद ही संचालन की अनुमति दी जाती है और ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा समय-समय पर इनके निरीक्षण के भी निर्देश है. इतनी बड़ी संख्या में अवैध रूप से संचालित हो रही दवाईयों की दुकानों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे है.


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