बाड़मेर में 19 जून से उप राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान का होगा आयोजन
उप राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान का आगाज बाड़मेर में 19 जून को किया जा रहा है. कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बाबूलाल बिश्नोई के निर्देशन में शहर प्रजनन और शिशु स्वास्थय अधिकारी डॉ प्रीत मोहिन्दर सिंह की अध्यक्षता में जीएनएमटीसी प्रशिक्षण सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया.
Chohtan : उप राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान का आगाज बाड़मेर में 19 जून को किया जा रहा है. कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बाबूलाल बिश्नोई के निर्देशन में शहर प्रजनन और शिशु स्वास्थय अधिकारी डॉ प्रीत मोहिन्दर सिंह की अध्यक्षता में जीएनएमटीसी प्रशिक्षण सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया.
कार्यशाला में नर्सिंग स्टूडेंट, आशा और कार्यकर्त्ता उपस्थित रही. कार्यशाला के दोरान सिंह ने उप राष्ट्रीय पल्स पोलियो कार्यक्रम के दोरान 0 से 5 साल तक का कोई भी बच्चा पोलियों की दवा से वंछित न रहे. इस के लिए ग्राम स्तर पर कार्यरत समस्त महिला स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, आशा सहयोगिनी और कार्यकर्त्ता को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
उप राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान शहर में 19 जून से 21 जून तक चलाया जायेगा. डॉ सिंह ने बताया की साल 1909 में पोलियों विषाणु की खोज हुई और पता चला कि पोलियों एक विषाणु जनित रोग हैं. महाअभियान के पहले दिन शहर में निर्धारित किए गए बूथों पर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी.
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इसके बाद 20 से 21 जून को शहर में घर-घर जाकर वंचित बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी. शहर प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रीत मोहिन्दर सिंह ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण महाअभियान-2022 के पोलियों की बीमारी एक विषाणु के कारण होती है. जिला आशा समन्वयक राकेश भाटी ने उपस्थित समस्त नर्सिंग स्टूडेंट, आशा और कार्यकर्त्ता को निर्देशित किया की आपके इलाके में 0 से 5 साल का कोई भी पोलियो की खुराक से वंचित न रहे.
पोलियो की दवा पिलाने के बाद घरों पर सही मार्किंग करे. डॉ पंकज सुथार एसएम्ओ डब्लूएचओ ने बताया की पोलियां वायरस वातावरण में दूषित पानी, खाना, गन्दे हाथों से मुंह के रास्ते मानव शरीर में प्रवेश करता है, और आंत में आकर बस जाता है. उसके बाद रक्त के प्रभाव के साथ और दिमाग, रीड की हड्डी में आक्रमण कर तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुंचाता है. संक्रमण और पक्षाघात होने के बीच 10 से 21 दिन का समय लगता है. जिसे इन्क्यूवेषन पिरीयड कहते है. कई बार यह सांस लेने में मदद करने वाले स्नायुओं को इतना प्रभावित कर देता है कि बच्चा मर भी जाता है.
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में आरसीएचओ डॉ प्रीत मोहिन्दर सिंह, डॉ पंकज सुथार एसएम्ओ डब्लूएचओ, आशा समन्वयक राकेश भाटी, युपीएम अरविंद सांगवा, सुपरवाईजर सुभाष शर्मा, विक्रम सिंह, मूलशंकर दवे, वर्ड विजन इण्डिया से बिनीत बाखला, लालचंद पंवार, कमलेश चौधरी, नर्सिंग स्टूडेंट, आशा और कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे.
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