बाड़मेर में MACT कोर्ट के कर्मचारियों का सांकेतिक धरना, काली पट्टी बांध जताया विरोध
एमएसीटी के कर्मचारी 24 वर्ष से अधिक लम्बे समय से एक ही पद पर कार्यरत होकर कार्य सम्पादित कर रहे हैं, जिससे इन कर्मचारियों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
Barmer: राजस्थान सरकार द्वारा अधिसूचनाओं के माध्यम से वर्ष 1998 तथा उसके बाद समय-समय पर राजस्थान के विभिन्न जिलों में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी कोर्ट) सृजित किए गए हैं. परन्तु इनमें कार्यरत कर्मचारी राज्य सरकार की अनदेखी तथा भेदभाव का शिकार हो रहे हैं.
एमएसीटी के कर्मचारी 24 वर्ष से अधिक लम्बे समय से एक ही पद पर कार्यरत होकर कार्य सम्पादित कर रहे हैं, जिससे इन कर्मचारियों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
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इस संबंध में राजस्थान मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण कर्मचारी एसोसिएशन जिला शाखा बाड़मेर ने बुधवार से प्रदेश यूनियन के आह्वान पर भोजनावकाश में सांकेतिक धरना प्रारम्भ किया. इसके साथ ही समस्त कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर कार्य करते हुए अपना विरोध जताया.
क्या बोले यूनियन जिलाध्यक्ष भवानी प्रकाश
यूनियन जिलाध्यक्ष भवानी प्रकाश ने बताया कि राज्य सरकार से अधिकरणों में कार्यरत कर्मचारियों को नियमानुसार बैकलॉग (पश्चातवर्ती क्रम) पदोन्नत किए जाने संबंधी आदेश प्रदान करने, गृह में पदस्थापित किए जाने हेतु विकल्प प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करने की मांग की गई है. इसको लेकर काली पट्टी बांधकर कार्य करना एवं भोजनावकाश में सांकेतिक धरना अनवरत दिया जाएगा. वहीं जल्द मांगों को नहीं माने जाने की स्थिति में आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दी गई है.
गौरतलब है कि वर्ष 1998 में अधिसूचना जारी कर अधिकरण का गठन किया गया था. उस समय अधिकरण में एक स्टेनो, एक यूडीसी और तीन एलडीसी सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद सृजित किए गए थे. अधिकरण के गठन से लेकर अब तक पदों की संख्या में परिवर्तन नहीं किया गया. वहीं, न तो पदों को क्रमोन्नत किया गया और ना ही कर्मचारियों को पदोन्नतियां दी गई. जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश का माहौल है.