भरतपुर/ देवेंद्र सिंह: राजस्थान में चुनावी फीवर सभी लोगों के सर चढ़कर बोल रहा है. एक ओर जहां सभी पार्टियां चुनावों की तैयारी में लगी हुईं हैं. वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं को मत के लिए प्रेरित करने के लिए कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी बीच भरतपुर के मेवात के पीलोरी के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 10वीं क्लास की दो बहनें भी महिला मतदाताओं को एक कविता के जरिए वोट देने के लिए प्रेरित कर रही हैं. 


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दरअसल, अक्सर ही निर्वाचन आयोग और सरकार द्वारा लोगों को मत देने के लिए जागरुक किया जाता है और लोगों को उनके अधिकार का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. अब सोशल मीडिया के आने से इस काम में पहले से ज्यादा आसानी आई है. भरतपुर की 10वीं कक्षा की इन दोनों बहनों (सबा और मुस्कान) ने भी अपने आस पास रहने वाली महिलाओं को वोट डालने के लिए जागरुक करने का बीड़ा उठा लिया है. इसके लिए दोनों बहनों ने मशहूर गायक और कलाकार नुसरत फतेह अली खान के "रश्के कमर" की धुन पर गाना भी तैयार किया है. 


मेवात में ये चलन खासा प्रचलित हो रहा है. इसको सुनकर मेवाती महिलाएं भी समझ रही हैं कि इलेक्शन कमीशन किस तरह इस चुनाव में वीवीपैट का प्रयोग कर रहा है. मेवाती महिलाओं का यह मानना है कि इस गाने को गाकर अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं में भी मतदान के लिए जागरूकता बढ़ेगी और वह निर्भीक होकर मतदान कर सकेंगी.


निर्वाचन आयोग भी मतदाताओं को कर रहा जागरूक
विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही निवार्चन आयोग काफी जादा सक्रिय हो गया है. चुनाव आयोग यह चाहता है कि हर मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करे जिसकी मदद से मतदान प्रतिशत बढ़े. इस बार चुनाव आयोग का महिलाओं पर खास फोकस है. एक तरफ चुनाव आयोग जहां महिला बूथ बना रहा है, वहीं दूसरी तरफ वह दिव्यांगो को बूथ तक लाने की व्यवस्था कर रहा है. 


सबाना और मुस्कान ने गाया है ये गाना
भरतपुर जिला निर्वाचन अधिकारी सन्देश नायक द्वारा भी स्वीप के प्रोग्राम के तहत मेवात की महिला मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए उनकी भाषा मे ही मतदान का महत्व समझाने के लिए पिपरौली के सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाली सबाना और मुस्कान नाम की दो बहिनों ने इस गाने को गाया है. इस गाने को मेवात के लोग हाथों-हाथ ले रहे है. महिलाएं इसे सुनकर बहुत ही उत्साहित हैं. इस गाने को इसी विद्यालय के प्रधानाचार्य नानकमल नवीन ने लिखा है.


मेवाती गीत के बोल-


बूथ पै मैं अकेली चली जाऊंगी,
यामें कांई कौ डर और कैसी शरम ।
ईवीएम पै लिखा नाम पढ लूंगी मैं,
अब जनानी रही हैं न का ही सू कम ।


काम घर का कछु तो मैं कर जाऊंगी ,
और आके करूं लौट के बूथ सू 
वोट दूंगी जरूरी न भूलूं कभी,
आई तारीख तैयार बैठी हैं हम ।


कोई लालच दिखावै ,दिखातौ रहे,
वोट मेरी बिके न झुकेगी कभी
न उजागर करूं वोट है ओट की,
लेके पैसा बिगाडूं न अपनौ धरम ।


माई बाबा दौराणी जिठाणी चलें ,
वोट डालें न रोके न टोके कोई 
देख लें पर्ची दीखै वीवीपैट में,
ई चली तो मिटा सारा दिल का वहम ।


सात/बारह/अठारह शुक्रवार है,
वक्त भी याद है याद तारीख भी
अपनी सरकार चुनना को दिन आ गयौ ,
बूथ की ओर खुद चल पडे हैं कदम ।