Bharatpur News: पुलवामा हमले के शहीदों की वीरांगनाओं के मामले को लेकर जहां भाजपा लगातार प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमलावर है और सड़क से लेकर सदन में कांग्रेस पर सवाल उठा रही है. अब उसी भाजपा की पूर्व विधायक अनीता सिंह कांग्रेस सरकार के लिए संकटमोचक बनकर उभरी हैं. भाजपा की पूर्व विधायक अनीता सिंह की दखल के बाद अब शहीद जीतराम की वीरांगना ने अपनी देवर को सरकारी नौकरी देने की मांग छोड़ दी है और अब वह सिर्फ नगर के राजकीय महाविद्यालय का नाम शहीद जीतराम के नाम पर करवाना चाहती है. 


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वीरांगना ने छोड़ी मांग
बड़ी बात यह है कि देवर को नौकरी देने की जिस मांग को लेकर सुंदरी देवी ने 10 दिन तक जयपुर में आंदोलन किया, नगर के अस्पताल में पुलिस पहरे में रही ,खुद को पुलिस द्वारा नजरबंद करने और भाजपा सांसद रंजीता कोली से पुलिस पहरे से मुक्ति दिलाने की मांग कर रही थी. उनका ह्रदय परिवर्तन अचानक कैसे हो गया ? यही नहीं वीरांगना के देवर विक्रम और नगर की पूर्व भाजपा विधायक अनीता सिंह ने सुन्दरावली गांव के ग्रामीणों के साथ मिलकर रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा, जिसमे सिर्फ कॉलेज का नाम शहीद के नाम पर करने की मांग लिखी हुई थी,  जिस पर ग्रामीणों सहित सरपंच और वीरांगना और उसके देवर विक्रम के हस्ताक्षर मौजूद हैं. 


यहां पर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भाजपा की पूर्व विधायक ने कांग्रेस की मुसीबत कम कर दी है. पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से जहां प्रशासन ने राहत की सांस ली है. वहीं, मुख्यमंत्री गहलोत के उस बयान को भी बल मिल गया कि पुलवामा हमले की वीरांगनाओ को बहला फुसलाकर आंदोलन कराया जा रहा था. 


सांसद रंजीता कोली नाराज
पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से भाजपा में चर्चा है कि आखिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ पूर्व विधायक अनीता सिंह ने क्यों कदम उठाया ? अब यह खबर भी निकल कर सामने आ रही है कि पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से सांसद रंजीता कोली गहरी नाराज बताई है.


सांसद कोली ने कल शाम ही भाजपा के केंद्रीय नेतत्व और प्रदेश नेतत्व को इसकी शिकायत की है क्योंकि सांसद रंजीता कोली वीरांगना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलवाने वाली थी. इसके लिए उन्होंने हाल ही में रक्षा मंत्री से मुलाकात की थी और फोन पर वीरांगना सुंदरी को भरोसा दिलाया था.


साथ हीं, इससे पहले रंजीता कोली वीरांगना सुंदरी देवी को नगर अस्पताल से उसके गांव सुन्दरावली एम्बुलेंस में बैठकर छोड़कर आई थी. इस घटनाक्रम में वह चोटिल भी हुई, जिसकी शिकायत उन्होंने लोकसभा अध्य्क्ष से विशेष अधिकार हनन के तहत की थी. एक दिन पहले वीरांगना कह रही थी उसके परिवार को पुलिस के पहरे में रखा हुआ है, वहीं अब वह यह कह रही हैं कि वह नजरबंद नहीं हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं है. 


16 मार्च को बीजेपी भरतपुर में कलेक्ट्रेट का घेराव करके एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटी है, जिसमें भाजपाई वीरांगना के देवर को नौकरी नहीं देने के मामले को भी उठाने वाले थे, लेकिन बीजेपी की ही पूर्व विधायक की दखल के बाद अब यह मांग ही समाप्त हो गई है. 


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