भरतपुर: जिले के ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग में स्थित आदिबद्रीनाथ व कनकाअंचल पर्वत के संरक्षण के लिए ,अपने प्राणों की आहुति देने वाले संत विजयदास की अस्थि कलश यात्रा बरसाने से चलकर डीग तहसील के गांव पसोपा पहुंची. जहां पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया है. अस्थि कलश यात्रा का ग्रामीणों व कस्बावासियों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और बृज सरक्षंण के अपने संकल्प को दोहराते हुए बृज के पर्वतों के सरक्षंण के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने की बात कही.


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इस अस्थि कलश यात्रा को कामां कस्बे के मुख्य बाजारों से होकर गया कुंड ले जाने को लेकर भाजपाई व कांग्रेस कार्यकर्ताओं में विवाद भी हुआ, लेकिन बाद में सहमति बनने पर यात्रा मुख्य बाजार से ही निकाली गई. एक बार स्थिति थोड़ी बिगड़ने लगी. लेकिन आपसी समझाइश से विवाद टल गया और फिर सीधे अस्थि कलश यात्रा को कामां से पसोपा गांव लाया गया है. जब अस्थि कलश रथ यात्रा निकल रही थी तभी पुलिस अधिकारी शांति बनाए रखने के लिए समझाइश कर रहे थे, लेकिन उसी बीच कुछ नेताओं ने एएसपी रघुवीर कबिया से नौकझौक शुरू कर दी. इस यात्रा में भारी संख्या में साधु संत हैं जो भजन कीर्तन करते हुए यात्रा निकाल रहे हैं. साधु संत के आत्मदाह के जिम्मेदारों के खिलाफ सीबीआई से जांच की मांग कर रहे हैं.


मंत्री और कलेक्टर ने दिए पांच लाख रुपये के चेक


इधर, पीडब्लूडी मंत्री भजनलाल जाटव व कलेक्टर आलोक रंजन ने बरसाना की श्रीमाता गौशाला पहुंचकर सन्त विजयदास की पोती दुर्गा को मान मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों की मौजूदगी में राजस्थान सरकार द्वारा दी जाने वाली पांच लाख रुपए की सहायता राशि का चेक सौंपा. इस मौके पर मंत्री भजनलाल जाटव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सन्त व धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर आदिबद्रीनाथ व कनकांचल पर्वत के सरक्षंण के बारे में जानकारी भी दी.


सरकार ने अभी तक माइंस पट्टे निरस्त नहीं किए- संत गोपेश बाबा
वहीं, इस मामले में सन्त गोपेश बाबा ने कहा है कि अभी तक सरकार ने सिर्फ आदिबद्रीनाथ व कनकांचल पर्वत के राजस्व एरिया को वन विभाग के हैंडओवर सिर्फ कागजों में किया है. अभी तक इस इलाके में चलने वाली लीज के माइंस पट्टे निरस्त नही किए गए हैं और ना ही वन विभाग ने इसका हैंडओवर लिया है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि खनन माफिया अब भी न्यायालय के रास्ते इसको अटकाना चाहता है, लेकिन सन्त समाज बाबा विजयदास की कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देगा और वह कोर्ट में भी लड़ेंगे और जररूत हुई तो जयपुर कूच करेंगे. बाबा गोपेश्वर दास ने कहा है कि उनके बारे में खनन माफिया और कुछ तथाकथित लोग भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, लेकिन वह इससे डरने वाले नही है और ठाकुर जी उनके साथ है.


उधर, अस्थि कलश यात्रा के दौरान घटित घटनक्रम को लेकर नगर से पूर्व विधायक गोपीचंद गुर्जर ने कहा है कि बाबा विजयदास की अस्थि कलश यात्रा के दौरान कुछ लोगों ने खनन माफिया के इशारे पर इसको रोकने का कुत्सित प्रयास किया, लेकिन वह सफल नहीं हुए. सन्त विजयदास के साथ बृज मंडल ही नहीं समूचे सन्त समाज हिन्दू समाज की भावनाएं जुड़ी हैं. उन्होंने प्रकृति के सरक्षंण के लिए बलिदान दिया है जो भुलाया नहीं जा सकता है.


खनन माफियाओं के खिलाफ संत विजयदास ने किया था आत्मदाह


गौरतलब है कि बृज चोरसी कोस में पड़ने वाले नगर विधानसभा के गांव पसोपा में भगवान की क्रीड़ास्थली व धार्मिक महत्व की पहाड़ियों से खनन कार्य बंद करने की मांग को लेकर 550 दिन से धरना दे रहे साधु संतों के बीच विजयदास ने 20 जुलाई को आत्मदाह कर लिया था. पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार मथुरा के बरसाने में किया गया था . 29 जुलाई को बाबा विजयदास की अस्थि कलश रथ यात्रा लेकर साधु संत बरसाने से रवाना होकर भरतपुर के कामा होते हुए पसोपा पहुंचे .जहां गांव के पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में ही अस्थि रखकर समाधि बनाई जाएगी . बाबा विजयदास इसी मंदिर के महंत थे.


Reporter- Devendra Singh


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