संत विजयदास आत्मदाह केस: मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ संतों ने दिया परिवाद
संतों का आरोप है कि संत विजय दास के कथित आत्मदाह के पीछे राज्य सरकार में बैठे मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी और खननकर्ता दोषी हैं. इनको चिन्हित कर बाबा विजय दास को आत्मदाह के लिए उकसाने के जुर्म में मुकदमा दर्ज कानूनी कार्यवाही करनी चाहिये.
Bharatpur: राजस्थान के भरतपुर में ब्रज के धार्मिक महत्व के पर्वतों के संरक्षण को लेकर चल रहा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब पर्वतों को बचाने के लिए आंदोलन करने वाले संतों ने ब्रज पर्वत और पर्यावरण बचाओ सरंक्षण समिति के बैनर तले खोह थाने में एक FIR दर्ज करवाने के लिए शिकायत दी है.
संतों का आरोप है कि संत विजय दास के कथित आत्मदाह के पीछे राज्य सरकार में बैठे मंत्री, प्रशासनिक अधिकारी और खननकर्ता दोषी हैं. इनको चिन्हित कर बाबा विजय दास को आत्मदाह के लिए उकसाने के जुर्म में मुकदमा दर्ज कानूनी कार्यवाही करनी चाहिये.
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संतों ने पुलिस थाने में दिए 3 पेज के परिवाद में बताया है कि कनकांचल और आदिबद्री पर्वतों के संरक्षण का काम सीएम गहलोत के आश्वासन के अनुसार 1 अक्टूबर 2021 को हो जाता तो बाबा विजय दास को आत्मदाह के लिए विवश नहीं होना पड़ता. दोनों पर्वतों को बचाने के लिए 12 साल से संघर्ष चल रहा है. खनन को रोकने के लिए कई कार्रवाई हुईं लेकिन खनन माफियाओं भ्रष्ट अधिकारियों की मदद से खनन को जारी रखा. वहीं पिछले 2 सालों में दो नए क्रेशर लगाकर लीजों से बाहर खनन होने लगा. बाहर से माफिया आने लगे. साधु संतों को डराने लगे. ऐसा लगने लगा कि कुछ महीनों में माफिया पूरे ब्रज का विनाश कर देंगे. बार बार गुहार लगाने के बाद भी सरकार ने कोई सुनवाई नहीं कि. जिसके बाद धरना शुरू किया गया.
बाबा विजय दास के आत्मदाह के एक दिन पहले प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर पुलिसकर्मियों ने धरने पर बैठे संतों को हटाने की कोशिश की, जिससे आहत होकर बाबा विजय दास ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया, मुख्यमंत्री के मौखिक आश्वाशन के बाद भी सरकार में बैठे मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों ने खनन माफिया से मिलीभगत के चलते पर्वतों के संरक्षण काम नहीं हो पाया. उल्टा प्रशासन बाबा विजय दास के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की योजना बना रहा था.
बाबा विजय दास के आत्मदाह के बाद अब दोनों पर्वतों के संरक्षण और वन क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया कर रहा है, लेकिन अब संतों की मांग है कि सीएम के आश्वाशन के बाद भी दोनों पर्वतों के संरक्षण और वन क्षेत्र घोषित करने में हुई देरी के लिये जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही तय हो. तहरीर में साधू-संतों ने राजस्व मंत्री, खान मंत्री, राज्य मंत्री जाहिदा खान, अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस सुबोध अग्रवाल सहित एनकासा प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रभु दयाल सोनी के नाम का लिखा है. इसके साथ ही इसके लिए दोषी ब्यूरोक्रेसी के बड़े अफसरों पर कार्यवाही की मांग की है. तहरीर सौंपने वालों में बाबा शिवरामदास, आदिबद्रीनाथ, बाबा गोपेश, बाबा दीनदयालदास, राधाकांत शास्त्री मान मंदिर बरसाना आदि शामिल है.
Reporter- Devendra Singh
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