Bhilwara News: भीलवाड़ा में बच्चों पर कुत्तों के हमले की बढ़ती घटनाओं से लोगों में दहशत का माहौल है. कुत्तों के हमले का ताजा मामला आज एक बार फिर देखने को मिला है. घर के बाहर खेल रहे चार साल के बच्चे को एक कुत्तें ने नोंच खाया. आसींद के जाली गांव में रहने वाले सुरेश प्रजापत का 4 साल का बेटा कार्तिक अपने घर के बाहर खेल रहा था. इस दौरान अचानक एक कुत्ता आया और कार्तिक पर हमला कर दिया. इससे आस-पास खेल रहे दूसरे बच्चे डरकर भाग गए, लेकिन कुत्ते ने कार्तिक को दबोच लिया. कुत्ते ने बच्चे के सिर और मुंह को बुरी तरह से नोंच दिया. उसके बाद बच्चे के चीखने और रोने की आवाज सुनकर घरवाले अंदर से बाहर आए, इस दौरान पड़ोसियों की भी भीड़ लग गई, जिसके बाद सभी ने मिलकर कुत्तें से बच्चे को छुड़वाया और हॉस्पिटल लेकर गए. जहां डॉक्टरों ने बच्चे को संभाला और उसका इलाज शुरू किया.


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गली में रोज घूमता है कुत्ता


4 साल के कार्तिक को काटने वाला कुत्ता काफी दिनों से गली में घूम रहा था, लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि, वह इतना खौफनाक निकलेगा. कुत्ते के इस खतरनाक हमले के बाद अब बच्चों के साथ बड़ों में भी डर पैदा हो गया है. हालांकि इस घटना के बाद से कुत्ते पर नजर रखी जा रही है.बता दें कि भीलावाड़ा में एक साल में कुत्तों के हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. एक बच्चे का इलाज करते हुए तो डॉक्टरों की भी रूह तक कांप गई थी.


भीलवाड़ा के मांडल इलाके में बच्चे को आये थे 100 टांके


मार्च 2022 में भीलवाड़ा के मांडल इलाके के कालूखेड़ा गांव के रहने वाले गोपाल गुर्जर का 5 साल का बेटा प्रह्लाद गुर्जर घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहा था. तभी एक कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया. कुत्ते ने बच्चे को सड़क पर गिरा दिया और उसका मुंह बुरी तरह से नोच लिया. बच्चे के चिल्लाने की आवाज सुनकर परिवार के लोग बाहर आए तो बच्चे का लहूलुहान देखकर दंग रह गए. कुत्ते से छुड़वाकर उसे मेजा अस्पताल ले गए, जहां से प्राथमिक उपचार देने के बाद उसे भीलवाड़ा रैफर कर दिया गया था. निजी अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राजेश जैन ने प्रह्लाद का ऑपरेशन किया और करीब 100 से ज्यादा टांके लेकर उसका चेहरा तैयार किया था.


खुशी की खुशियों को भी कुत्तों ने लगाया था ग्रहण


सितंबर 2022 में मांडल के थाबोल गांव में रहने वाले महादेव जाट की 9 साल की बेटी खुशी अपने घर के बाहर खेल रही थी. इस दौरान एक कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया और उसका चेहरा बुरी तरह से काट लिया. बच्ची के चिल्लाने पर उसे कुत्ते से छुड़वाकर हॉस्पिटल लेकर गए, खुशी का उपचार करने के बाद उसे छुट्‌टी दे दी गई. जिसके बाद 12 अक्टूबर को खुशी की दोबारा तबीयत खराब हो गई. कुछ दिन बाद खुशी पानी से डरने लगी, उसे बुखार चढ़ने लगा और शरीर कंपन करने लगा. परिजनों ने 13 अक्टूबर को बच्ची को राजकीय महात्मा गांधी आरोग्य सदन भीलवाड़ा हॉस्पिटल में दिखाया. जहां डॉक्टरों ने बच्ची को रेबीज प्रोफाइल एक्सेस हाइड्रोफोबिया का पेशेंट मानकर हायर सेंटर रैफर कर दिया. बच्ची को लेकर उसका पिता कार से मम्मी और बुआ के साथ उदयपुर के भूपाल हॉस्पिटल रवाना हुआ और हॉस्पिटल ले जाते समय खुशी की रास्ते में मौत हो गई और मां की गोद में ही उसने दम तोड़ दिया.


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