Bhilwara News: भीलवाड़ा शहर के सुभाष नगर थाना क्षेत्र की रमा विहार कॉलोनी में आर जे एस परीक्षा में फेल होने के बाद डिप्रेशन में चल रही एक 28 साल की युवती ने अपने घर में सुसाइड कर लिया. घटना के समय युवती के माता-पिता व भाई बाहर गए हुए थे. दोपहर को जब युवती की मां घर लौटी तो अंदर से दरवाजा बंद था. इसके बाद दरवाजा तोड़कर अंदर जाने पर युवती का शव फंदे पर लटका हुआ मिला. घटना की सूचना मिलने के बाद सुभाष नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई और शव को नीचे उतारकर मोर्चरी पहुंचाया गया. इधर, युवती के सुसाइड की सूचना के बाद मौके पर लोगों की भीड़ लग गई.


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सुभाष नगर थाना प्रभारी जय सुल्तान कविया ने बताया कि सोमवार को थाना क्षेत्र के रमा विहार में रहने वाली आकांशा उर्फ खुशबू (28) पुत्री लक्ष्मीलाल ओझा ने अपने कमरे में फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया. सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से नीचे उतार मोर्चरी पहुंचाया. मृतका के माता-पिता दोनाे टीचर है. सोमवार सुबह वह स्कूल के लिए निकली गए थे. वहीं आकांशा के भाई भी घर से बाहर निकल गया था. घर में आकांशा अकेली ही थी. पीछे से साड़ी का फंदा बनाकर सुसाइड कर लिया. दोपहर को करीब 2 बजे जब आकांशा की मां स्कूल से वापस आई तो आकांशा को आवाज लगाई. इस पर उसने दरवाजा नहीं खोला. काफी देर आवाज लगाने पर अंदर से कोई जवाब नहीं आया तो पड़ोसियों की मदद से घर का दरवाजा तोड़ा गया. आकांशा अहमदाबाद में आरजेएस की तैयारी कर रही थी. 16 अगस्त को ही उसका परिणाम आया था. जिसमें आकांशा फेल हो गई थी. इसके बाद से ही आकांशा डिप्रेशन में चल रही थी.


यह लिखा सुसाइड नोट में 


बहुत सपने देखे थे कि शायद मेहनत करेंगे तो कुछ बन जाएंगे. बहुत बार असफल हुई फिर भी हिम्मत करके खड़ी हुई, नहीं एक बार ओर सही पर हर बार नाकामयाबी. हर त्यौहार को छोड़ा, हर शादी को छोड़ा पर हाथ सिर्फ निराशा आई. शायद किसी ने सही कहा है लड़की को लड़की के हिसाब से रहना चाहिए. घर, परिवार तही सिमित रहे तो ही बेहतर है. उसके आने वाले भविष्य के लिए ना कभी इनती आशाएं सजोई जीवन में, हमेशा आशा रखी तो सिर्फ एक कि कुछ अच्छा बन जाऊं पर हर बार असफलता. बहुत किस्मत वाली बेटी बनी जो ऐसा घर परिवार, माता-पिता मिले, जिन्होंने कभी साथ नहीं छोड़ा, जो मांगा वो दिया विना किसी आशा के. बहुत किस्मत वाली बहन हूं जो ऐसा भाई मिला जिसने पग-पग पर ढाल बन के मेरा साथ दिया. बहुत किस्मत वाली शिष्या हूं जो ऐसे गुरूजन और फ्रेंडर्स का साथ मिला जिन्होंने हमेशा हौसला बंधाया और मार्ग दर्शित किया, उन सभी का दिल से आभार. अब शायद अतनी हिम्मत नहीं रही कि एक बार फिर से खड़ी होकर कुछ करूं. माफ कर देना मम्मी-पापा, बड़े पापा, अभिषेक, भैय्या कि आज आप सबके होते हुए हुए भी मैं यह कदम उठा रहीं हूं. आप सब एकजुट होकर रहना और हमारा परिवार हमेशा अपने व्यवहार और सादगी भरे व्यवहार के लिए जाना गया है और आगे भी जाना जाए. अभिषेक, महावीर भैया भाई की जोड़ी और एक अच्छी मिसाल पेश करना और अपने परिवार को आगे लेकर बढ़ना. महावीर भैय्या मैं आपकी सबसे लाड़ली बहन थी पर क्या करूं कुछ करना चाहती थी पर हो न सका. अभिषेक और पापा-मम्मी का ध्यान रखना. मामा-मामीसा, नानी मम्मी को अभी अकेले मक छोडना, आगे भी उनका साथ देना.


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