Bhilwara:औद्योगिक नगरी भीलवाड़ा अब मेडीकल हब के रूप में भी अपनी पहचान बनाने लगा है. ज़िले के सबसे बड़े सरकारी महात्मा गांधी हॉस्पिटल के डॉक्टर विपुल चौधरी को अपने आविष्कार और डिजाइन के लिए पेटेंट किया गया है. जिसे उन्होंने मेडिकल कॉलेज को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में परेशानी आती है और इलाज की लागत भी बढ़ जाती है. इस आविष्कार से दंत चिकित्सा की लागत में कमी और सुलभता बढ़ाने में काफ़ी मददगार साबित होगा.


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उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज अब दंत प्रत्यारोपण में किफायती होने के साथ अब समय की बचत भी करेगा. उन्होंने कहा कि यह चिकित्सा जगत लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होगा जोकि दंत चिकित्सा में काफी कारगर होगा. उन्होंने कहा कि अब तक के इतिहास में इंजीनियरिंग फ़ील्ड या आईटी सेक्टर में हुए अविष्कारों को पेटेंट किया गया है. मेक इन इंडिया के तहत चिकित्सकों के प्रयासों को इससे संबल मिलेगा. उन्होंने बताया कि 20 साल के लिए उन्हें यह पेटेंट दिया गया है. 


अभी इस उपकरण का क्लिनिकली टेस्ट शुरू नहीं किया गया है, लेकिन जल्द इसी शुरुआत मरीज़ को गुणवत्तापूर्ण उपचार देने के लिए की जायेगी. उन्होंने कहा कि राजस्थान में यह पेटेंट अपने आप में पहला एसा उपकरण होगा जो दंत चिकित्सा में काफ़ी कारगर साबित होगा. 


उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेजो में प्रोफ़ेसरों को अब सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति लाने के भी अवसर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. हमने इस उपकरण के लिए एक साल तक मेहनत की है. कई लेवल पर जांच और परख के बाद भारत सरकार ने हमे इसका पेटेंट दिया है जो ना सिर्फ़ चिकित्सा जगत के लिए बल्कि भीलवाड़ा के लिए भी गौरव की बात है.