Bhilwara news: भीलवाड़ा मांडल जिले के सबसे बड़े बांध और पर्यटन स्थल पर आपातकालीन सूचना प्रेषित कर मॉक ड्रिल परीक्षण किया गया.परीक्षण में सबसे पहले तहसीलदार मदन परमार और मेजा सरपंच छोटू सिंह पुरावत पहुंचे. वहीं, मांडल से मरीज रेफर करने गई 108 एंबुलेंस महज 16 मिनिट में जिला अस्पताल से 25 किमी दूरी तयकर मॉक ड्रिल स्थल पहुंची.


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 मॉक ड्रिल परीक्षण में उपखंड अधिकारी हुक्मी चंद रोहलानियां को मेजा सरपंच छोटू सिंह ने मेजा बांध की दुर्दशा का हवाला देते हुए बताया की मेजा क्षेत्रभर के लिए पर्यटन स्थल और आमजन का रोजगार का प्रमुख स्त्रोत था. विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते यहां के सौंदर्यीकरण और पहुंचने के प्रमुख मार्गों पर मरम्मत और नवीनीकरण नहीं हुआ.


 सरपंच सिंह ने बताया की विगत 1985 से यहां अनदेखी हो रही है.यहां से वाया मेजा और वाया कोटड़ी दोनों मार्ग इतने क्षतिग्रस्त है की मौका निरीक्षण करने गए अधिकारी और वहां गड्ढों को पार नहीं कर पाए. करीब डेढ़ फिट से अधिक गहरे गड्ढे बने हुए हैं. जहां से आपात स्थिति में वाहन का निकलना तक मुश्किल है. जहां बने गड्ढों को देख अधिकारी भी आगे नही पहुंच पाए.


उपखंड अधिकारी रोहलानियां ने सभी विभागों के प्रतिनिधियों के समय पर पहुंचने सहित 108 एंबुलेंस, अग्निशमन दमकल, जेसीबी ट्रैक्टर सहित अन्य संसाधनों को अच्छा कार्य बताया और वास्तविक आपात स्थिति में इसी प्रकार समय पर सेवाएं देने के निर्देशन दिए."मेजा बांध पर बने स्विमिंग पूल और अन्य संसाधनों का किया निरीक्षण.


मॉक ड्रिल परीक्षण के लिए पहुंचे अधिकारियों ने मेजा बांध स्थल पर बने स्विमिंग पूल और अन्य संसाधनों का निरीक्षण किया. करीब 45 वर्ष पहले बने स्विमिंग पूल की दुर्दशा को देख विभागीय अधिकारियों को फटकार लगाई. साथ ही संबधित विभाग से सौंदर्यकरण की देखरेख संबधित रिपोर्ट पेश करने को कहा.


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