Bhilwara: भीलवाड़ा की शाहपुरा विधानसभा के रायला में भागवत कथा का आयोजन.  भागवत कथा वाचन में पंडित दुर्गेश चतुर्वेदी ने कहा कि बड़ों के प्रति अपनी सहनशीलता और विनम्रता सहित आदर भाव से सेवारत होना चाहिए. छोटों के प्रति हमारे मन में दया भाव होना चाहिए, हृदय में क्षमा शीलता होनी चाहिए, बड़े होने का सही मायने में अर्थ भी यही है. उन्होंने कहा कि ह्रदय भी बड़ा हो जो अपने से छोटों की प्रत्येक गलती को क्षमा भाव से देख सके.


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अपने बराबर के लोगों के साथ हमें ईर्ष्या त्याग कर मित्रता का भाव रखना चाहिए. यदि हमसे कोई किसी भी काम में आगे हैं तो उससे हम ईर्ष्या न करें और यदि कोई हमसे पीछे पिछड़ा हुआ है, तो हम उसकी मदद करें. अपनी बराबर की उम्र वालों के साथ हमें मित्रता का भाव रखना चाहिए, उसकी परिस्थिति देख कर उसे छोटा बड़ा न समझे, न किसी का अपमान करें. समस्त जीवों के साथ अभेद व्यवहार करने से भगवान खुश होते हैं.


मनुष्य में सभी दोष अभिमान के कारण प्रकट होते हैं, अतः अभिमान रहित हो जाना मनुष्य की नम्रता का परिचय है. उन्होंने कहा कि भक्ति और आसक्ति दोनों ही मन से ही होती है, अतः मन पर अंकुश रखकर संसार की आसक्ति त्याग कर भगवान की भक्ति की ओर हमें बढ़ने का प्रयास करना चाहिए. थोड़ा-थोड़ा प्रयास हमारे जीवन का कल्याण करने में बहुत बड़ा योग हो जाता है. अतः मनुष्य को चाहिए अपनी बुद्धि विवेक से विचार कर अवगुणों को त्याग कर सद्गुणों को ग्रहण करना चाहिए. आज का मनुष्य अपने चरित्र को नहीं चित्र को सुधारने के प्रयास में लगा हुआ है. आत्मा अमर है अतः नाशवान शरीर का मोह त्यागकर आत्मा को परमात्मा के चरणों से जोड़ने के प्रयास में लग जाना चाहिए.


कथा में ध्रुव चरित्र, भरत चरित्र, अजामिल व्याख्यान, समुद्र मंथन, भक्त प्रहलाद चरित्र एवं राजा बलि का चरित्र सुनाया गया. भगवान नरसिंह एवं वामन भगवान की झांकी के दर्शन हुए, सभी श्रोताओं ने भावपूर्ण आनंद लिया. कथा के आयोजक दरगढ़ परिवार ने सभी श्रोताओं का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया.


Reporter - Mohammad Khan


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