Bhilwada: शासक के प्रमाद और आलस्य का त्याग नहीं करने पर शासन अव्यवस्थाओं का शिकार हो जाता है ओर उसे ‘‘पोपाबाई का राज’’ कहा जाता है. इसलिए कोई भी शासक हो या किसी संस्था को चलाने वाला उसे सफलताएं पाने के लिए हमेशा प्रमाद का त्याग करके कार्य करना चाहिए.


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ये विचार आगमज्ञाता प्रज्ञामहर्षि डा. समकितमुनि ने भीलवाड़ा शहर स्थित महावीर भवन में आयोजित प्रवचन में व्यक्त किए. भीलवाड़ा के शांति भवन में आगामी चातुर्मास करने जा रहे पूज्य समकितमुनि ने हमेशा दूसरों का भला करने की सोच रखने की प्रेरणा देते हुए कहा कि भस्मासूर नहीं बनें एवं हमेशा अपनी शक्ति का उपयोग दूसरों के फायदे के लिए करें. दूसरों को बर्बाद करने की सोच रखने पर वह व्यक्ति बर्बाद भले न हो लेकिन हमारी बर्बादी तय हो जाती है. उन्होंने संयमति जीवनशैली अपनाकर इन्द्रियों पर नियंत्रण रखने का आग्रह करते हुए कहा कि इन्द्रियों को जीत लेना वाला आत्मनियंत्रण की शक्ति प्राप्त कर लेता है, जबकि वासना में डूबने वाला अंधकारमय जीवन जीता है.                       


मुनिश्री ने, 10 जुलाई को शांति भवन में चातुर्मासिक मंगलप्रवेश के बाद 12 से 14 जुलाई तक होने वाले सामूहिक तेला तप आराधना में भी अधिकाधिक सहभागिता का आग्रह करते हुए कहा कि प्रत्येक परिवार से कम से कम एक तेला तप आराधना करने का भाव रखा जाना चाहिए. चातुर्मासिक नियमित प्रवचन 13 जुलाई से शुरू हो जाएंगे. धर्मसभा में गायनकुशल जयवंत मुनि एवं प्रेरणाकुशल भावन्त मुनि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ. धर्मसभा में महावीर भवन महिला मंडल की सदस्याओं ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका उपस्थित रहे.


Reporting : Mohammad Khan


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