Bhilwara: राजस्थान में ठंड खेतों में कहर बरपा रहा है. भीलवाड़ा जिले के आसींद विधानसभा क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की सर्दी एवं शीतलहर से पपीता के बागों में पौधे नष्ट हो गए. इससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. आमदनी बढ़ाने के लिए क्षेत्र के कई किसानों ने परंपरागत खेती की बजाय पपीता की बागवानी की थी. इसमें फल आने से पहले की आय की उम्मीदें ठिठुर गईं.                     



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सुराज गांव के रुणारेल निवासी सुरेश सिंह रावत ने बताया कि लाखों रुपए की लागत से करीब तीन बीघा जमीन में पपीता का बाग लगाया. एक साल से कर रहे मेहनत पर शितलहर एवं कड़ाके की सर्दी के दोर से पपीता के पौधे झुलस गए.



 खेत में पपीता के पौधे पर बर्फ गिरने से पत्ते गलकर नष्ट हो गए.डंठल ही डंठल दिखाई दे रहे हैं. इसी प्रकार खेत में चना एवं मिर्च के पौधे भी काले पड़ गए. किसानों ने बताया कि पपीता के पौधे को बचाने के काफी जतन किए,



लेकिन सर्दी के सितम एवं शीतलहर के चलते पपीता का बाग पूरी तरह नष्ट हो गया है.पहले से कोरोना की मार झेल रहे किसान कोविड से उभरे ही नहीं की साढ़े तीन लाख रुपये खर्च कर 3 तीन बीघा जमीन मे पपीता की खेती की.


राजस्थान के किसान बड़ी उम्मीद लगाकर इस पपीता की खेती को आधुनिक तरह से बनाया. उम्मीद के मुताबिक तकरीबन 15 लाख रुपए का मुनाफा होता था,लेकिन शीतलहर के चलते पपीता की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई. किसानों ने अब सरकार से उम्मीद लगाए की उन्हें कोई आर्थिक सहायता मिले तो खेती के लिए लिया कर्ज का भुगतान किया जा सकता है.


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