Sahara: किसी भी परिवार की मुख्य घुरी उसके दंपति ही होते है. दंपति से ही क्रमय: परिवार का विकास होता है, यही से सारे रिश्तो का जन्म होता है. दम्पति पर ही दायित्व होता है की वह सभी रिस्तों में संतुलन रखते हुए उन्हें जीवंत बनाए रखें परिवार की प्रसन्नता और प्रतिष्ठा बनाने वह उसमें उत्तरोत्तर वृद्धि का दायित्व भी दंपत्ति पर ही होता है. 


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अतः उनका व्यक्तित्व इतना विशाल होना चाहिए जो इस सब पर नजर रखते हुए. एक दूसरे की भावनाओं में सामंजस्य रखे वह उन्हें आदर प्रदान करें. पति-पत्नी यदि संस्कारी हो तो होने वाली संतान में भी संस्कारी होने की आशा की जा सकती है. उक्त विचार साध्वी विषदप्रभा ने दंपत्ति कार्यशाला में उपस्थित सभी दंपति प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए स्थानीय कालू कल्याण कुंज में व्यक्त किए. साध्वी प्रशमयशा ने अपने वक्तव्य में कहा कि विवाह एक ऐसा समझौता है, जिसमें 2 प्राणी जीवन भर साथ रहने की कसम खाते हैं.


अच्छा दामपतिय जीवन वही होता है, जिसमें एक दूसरे की भूलो वह गलतियों को नजर अंदाज करना होता है. परिवार की धूरी आपसी विश्वास है यह कायम रहता है तो परिवार भी वीखंडित नहीं होता, पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं. अतः आपस में सामंजस्य रखना अति आवश्यक है. कार्यक्रम का प्रारंभ स्थानीय महिला मंडल की बहनों द्वारा उच्चारित गीतिका के मंगलाचरण से हुआ. तत्पश्चात संयोजिका कीर्ति नौलखा ने आज की कार्यशाला के संबंध में जानकारी दी और इसकी उपयोगिता और उपादेयता के बारे में बताया.


इसी कार्यक्रम में रांका दंपति ने एक रूपक प्रस्तुत किया, जिसमें आज की आधुनिक दंपति के जीवन वह विचारों का जीवंत प्रस्तुतीकरण किया गया. दूसरे सत्र में उपस्थित दंपतियो को एक प्रश्न पत्र देकर उनकी बुद्धि की तीव्रता आंकी गई. इसी सत्र में सभी प्रतिभागियों का आपसी विचार विमर्श वह अपनी जिज्ञासाओं के समाधान का रहा.


त्वरित विषय पर भी अपने विचार व्यक्त करने के लिए दंपत्ति समूह को आमंत्रित किया गया. खट्टे मीठे अनुभव और अपने विचारों के संप्रेषण के पश्चात एक नवीन ऊर्जा के संचरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ. कार्यशाला में लग भग 50 प्रतिभागियों ने भाग लिया. अंत में साध्वी ने मंगल पाठ प्रदान किया.


Reporter: Mohammad Khan


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