Sahara: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा विधानसभा के गंगापुर उपखंड मुख्यालय पर चल रहे प्रवचन कार्यक्रम के दौरान संतों ने कहा कि जहां संयम है, वहां जीवन है, संयम के अभाव में जीवन का कोई मोल नहीं होता. अंतर्मन में उत्पन्न होने वाले विकारों पर नियंत्रण किया जाए तभी एक सम्यग व्यक्तित्व का निर्माण हो सकता है.      


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उपयुक्त विचार साध्वी विशद प्रभा ने स्थानीय कालू कल्याण में आयोजित संयम कार्यशाला और मंत्र दीक्षा समारोह में उपस्थित ज्ञानशाला के बच्चों और श्रोताओं के समक्ष व्यक्त किए. बच्चों को मंत्र दीक्षा प्रदान करते हुए साध्वी ने कहा कि जिस प्रकार मकान की मजबूती के लिए नींव का मजबूत होना आवश्यक है. 


उसी प्रकार बच्चों के निर्माण के लिए उनके सद्संस्कारों का बीजारोपण आवश्यक है. यह माता-पिता और अध्यापकों का दायित्व है कि बच्चों में कुसंस्कार हावी न हो जाए. साध्वी मनन यशा ने कहा कि संयम का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. शरीर मन और इंद्रियों पर संयम के साथ अपने आवेशों का संयम भी आवश्यक है तभी जीवन सुखमय बन सकता है. भोजन के असंयम से विभिन्न बीमारियों से शरीर नष्ट हो जाता है. अतः भोजन में विवेक अति आवश्यक है. साध्वी प्रसन्न यशा ने कहा कि बच्चों में जैसे संस्कार बचपन में होते हैं, वो ही आगे चलकर पुष्ट होते हैं.


अतः आवश्यक है बच्चों में सुसंस्कार भरे जाए, जिससे वो समाज और देश के चरित्रवान नागरिक बन सके. इस अवसर पर ज्ञानशाला के नन्हे बच्चों ने हम बच्चे होनहार गीत के माध्यम से उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या श्रावक-श्राविकाए और नन्हे मुन्ने बच्चे मौजूद थे.


Reporter: Mohammad Khan