Sri Ganganagar: कहते हैं अगर हौसला बुलंद हो तो उसे कोई भी बाधा नहीं रोक सकती. दिव्यांग खिलाड़ी भगवाना उर्फ अरमान ने मात्र 13 साल की उम्र में चारा काटते समय अपना एक हाथ गवाने वाले इस खिलाड़ी ने राज्य स्तर पर कस्बे का नाम रोशन किया है. पुष्कर अजमेर में आयोजित नेशनल दिव्यांग ओर्थोपेडिक स्टेनड़िग पैरा कबड्डी प्रतियोगिता (National Divyang Orthopedic Standing Para Kabaddi Competition) में विजेता रहकर साबित कर दिया कि अगर हौसलों के साथ किसी मंजिल के लिए उड़ान भरी जाए तो उसे हासिल किया जा सकता है. 


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आगामी फरवरी माह में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दिव्यांग कबड्डी टीम में कबड्डी भगवानाराम भाग लेंगे. यह कस्बे के लिए गौरवमय है. ट्रॉफी जीतकर आए अपने घर लौटे भगवानाराम का जोरदार स्वागत किया गया. वहीं भगवानाराम के साथ मुख्य बाजार के मार्गों से डीजे की धुन पर गुलाल लगाकर फूल मालाओं से स्वागत करते हुए विजय जुलूस निकाला गया. 


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रायसिंहनगर के निकटवर्ती गांव 10 टीके के रहने वाले इस खिलाड़ी परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी उन्होंने अपने सफलता के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए परिश्रम में कोई कमी नहीं छोड़ी. भगवानाराम द्वारा पहले सूरतगढ़ में कबड्डी ट्रायल प्रतियोगिता में भाग लिया, जहां उसका राज्य स्तर पर चयन हुआ जिसके बाद राज्य स्तरीय दिव्यांग कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लिया, जिसमें वह विजेता रहा.


भगवानाराम के कोच रिटायर्ड आर्मी कमांडो अनिल जाखड़ का कहना है कि शुरू से ही भगवानाराम को अपने लक्ष्य के प्रति मजबूत इरादा था, जो भी उसे ट्रेनिंग के दौरान कहां जाता था. वह उससे बढ़कर ही कार्य करता था. 
अनिल जाखड़ कोच की रायसिंहनगर स्थित आर्मी कमांडो स्पोर्ट्स एंड डिफेंस अकैडमी में अन्य खिलाड़ियों की तरह ही भगवानाराम भी अपनी तैयारी करता था लेकिन कटा हुआ हाथ इन तैयारियों में कोई रुकावट नहीं पैदा कर पाया. भगवानाराम दिव्यांग खिलाड़ी ने बताया कि मेरा नाम भगवानाराम है और गरीब मध्यमवर्गीय परिवार से आता हूं. लोगों को यह भी संदेश देना चाहता हूं कि कभी अपना हौसला नहीं खोना चाहिए. 


Reporter- Kuldeep Goyal