बीकानेर: यह परियोजना बदल रही किसानों की किस्मत, अन्नदाताओं की आय में ऐसे हो रही बढ़ोतरी
किसान देश की अर्थव्यवस्था का आधार है, किसान देश की शक्ति और ताकत है, देश की अर्थव्यवस्था में अन्नदाताओं का अहम योगदान है. किसान बढ़ेगा तो देश बढ़ेगा. ये लाइन हम सब बचपन से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं, लेकिन भारतीय किसानों की दुर्दशा से हर कोई वाकिफ है.
बीकानेर: किसान देश की अर्थव्यवस्था का आधार है, किसान देश की शक्ति और ताकत है, देश की अर्थव्यवस्था में अन्नदाताओं का अहम योगदान है. किसान बढ़ेगा तो देश बढ़ेगा. ये लाइन हम सब बचपन से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं, लेकिन भारतीय किसानों की दुर्दशा से हर कोई वाकिफ है. फिर भी किसान खेतों में खूब पसीना बहाते रहते हैं ताकि अच्छी फसलें लहलहाएगी, लेकिन कई बार मिट्टी की क्षमता कम होने से फसलों की पैदावार अच्छी नहीं होती है.
केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में बीकानेर कलेक्टर की पहल रंग ला रही है. कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल माटी परियोजना के जरिए किसानों की आय बढ़ाते हुए उनके जीवनस्तर में बदलाव ला रहे हैं. माटी के माध्यम से किसानों के जमीन और जीवन दोनों खुशहाल हो रहे हैं.
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तकनीकी खेती करने पर जोर
दरअसल, तकनीकी जानकारी और मार्गदर्शन के अभाव में किसान खेती में नवाचारों को नहीं अपना पाते और उन्हें उम्मीद के मुताबिक लाभ नहीं मिल पाता है. ऐसे में किसानों को मृदा स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने, जैविक एवं संरक्षित खेती को बढ़ावा देने, फसल विविधिकरण एवं पशुपालन को प्रोत्साहित करने, कीट एवं व्याधि प्रबंधन के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ पहुंचाने के उद्देश्यों के साथ माटी परियोजना की शुरुआत की गई है.
मरुस्थलीय क्षेत्र में आज लहलहा रही फसलें
बीकानेर जैसे कम पानी वाले मरुस्थलीय क्षेत्र में यह कार्य बेहद मुश्किल था. बावजूद इसके कलेक्टर कलाल ने कृषि से जुड़े सभी सरकारी महकमों को साथ लेकर इस अभियान की शुरुआत की. सबसे पहले 11 मई को बीकानेर के वेटरनरी कॉलेज के सभागार में जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई, जिसमें माटी के सभी पहलुओं पर मंथन किया गया. इसमें कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक से लेकर पर्यवेक्षक तक के तमाम कार्मिक मौजूद रहे. वहीं, कृषि और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के अलावा आईसीएआर के बीकानेर स्थित पांचों संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.
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कृषि वैज्ञानिक किसानों तकनीकी खेती के दे रहे टिप्स
कार्यशाला में तय हुआ कि गांव-गांव में किसान गोष्ठियां आयोजित करते हुए किसानों तक तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाया जाएगा. इन गोष्ठियों की शुरुआत 16 मई को हुई और अब तक गांव-गांव में ऐसी 457 गोष्ठियां आयोजित करते हुए लगभग 15 हजार किसानों से सीधा संवाद किया जा चुका है. इस संवाद में कृषि वैज्ञानिक किसानों के साथ एक जाजम पर बैठक अपनी बात बताते हैं, साथ ही किसानों की बात सुनते हैं और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन देते हैं. यह गोष्ठियां किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो रही हैं और पहली बार किसानों और अधिकारियों के बीच सतत संवाद संभव हो पाया है.
माटी परियोजना के द्वितीय चरण में जिले के ग्रामीण क्षेत्र के पांच विधानसभा क्षेत्रों के पांच-पांच गांवों के पच्चीस-पच्चीस किसानों सहित कुल 1250 किसानों की आय बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया शीघ्र ही प्रारम्भ किया जा रहा है. इन चयनित 1250 किसानों का व्यक्तिगत फॉर्म प्लान तैयार किया गया है तथा इन किसानों की कृषि योग्य भूमि, मृदा की स्थिति, उपलब्ध संसाधन, वर्तमान में की जा रही खेती और आमदनी, आय एवं उत्पादन तथा आय बढ़ाने की योजना एवं परिणाम संबंधित रिकॉर्ड संधारित किया जा रहा है.
परियोजना से बदल जाएगा किसानों के जीवन की दिशा और दशा
इस एक्सरसाइज की बदौलत यह अध्ययन किया जाएगा कि कृषि विशेषज्ञों की देखरेख में और पूर्व में परम्परागत तरीके से की गई खेती के कारण उत्पादन एवं आय में कितना अंतर आया है. यह अध्ययन किसान की आय बढ़ाने की दिशा में नजीर बनेगा और दूसरे किसानों को इससे प्रोत्साहन मिलेगा. कुल मिलाकर कलेक्टर द्वारा बीकानेर में विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे नवाचारों का लाभ लक्षित वर्ग को मिल रहा है, जो कि उनके जीवन की दिशा एवं दशा बदलने वाला साबित होगा.
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Reporter- Rounak vyas