Bikaner News: राजस्थान के पर्यटन नगरी में से एक बीकानेर है. ऐसे में यहां पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर कई योजनाएं बनाई जाती रही हैं. इसी कड़ी में बीकानेर में अश्व पर्यटन को बढ़ाने के लिए पिछले लंबे समय में कई कार्यक्रम किए गए. अब बीकानेर के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में एक विशेष इंटरफेस मीटिंग का आयोजन किया गया. इनमें पर्यटन के साथ-साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई. उसके साथ क्रियान्वित हो सकने वाले कुछ सुझावों पर विमर्श के लिए नोट किया गया.


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कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता ने की. उन्होंने केंद्र की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि पिछले एक वर्ष में इस केंद्र ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कई उपलब्धियां हासिल की है. इस केंद्र के नाम कल ही एक और उपलब्धि दर्ज हुई है. 



बीकानेर के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय पशु संसाधन ब्यूरो, करनाल के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर स्वदेशी घोड़ों की डीएनए-बेस्ड "एक्सिओम-अश्व एसएनपी चिप" बनाना. जो कि स्वदेशी घोड़ों के अध्ययन में सबसे अधिक उपयोगी सिद्ध होगी. गौरतलब है कि इस केंद्र ने देश को घोड़ों की आठवीं नस्ल भीमथड़ी दी है. 


 



मारवाड़ी घोड़ों के संरक्षण पर राष्ट्रीय स्तर का नस्ल संरक्षण पुरस्कार जीता है. अभी हाल ही में राज शीतल नाम की बच्ची का जन्म विट्रीफाइड भ्रूण प्रत्यर्पण तकनीक से हुआ. मेहता ने केंद्र की उपलब्धियों के साथ-साथ घोड़े को आम जनता से जोड़ने के जो प्रयास पिछले 5-6 वर्षों में किए गए उनके बारे में बताते हुआ कहा कि यहां अश्व पर्यटन प्रारंभ किया गया. 


 



अश्व प्रतियोगिताओं को अंतर राष्ट्रीय ऊंट उत्सव में सम्मिलित करवाया गया और एनसीसी के साथ अश्व खेलों का आयोजन भी करवाया गया. केंद्र ने अपने स्थापना दिवस पर पिछले माह ही अश्व प्रतियोगिताएं भी करवाई.