Bikaner: कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग और विरासत संवर्धन संस्थान के तत्वावधान में कल्पना संगीत एवं थिएटर संस्थान की तरफ से टीएम ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय अमर कला महोत्सव के दौरान मंच पर कला ,साहित्य और संस्कृति के कई रंग देखने को मिले. जहां पेंटिंग, मूर्तिकला और राजस्थानी पगड़ियों की विशेष प्रदर्शनी लगायी गयी. समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष गोपाल कृष्ण व्यास थे वही समारोह की अध्यक्षता मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष रमेश बोराणा ने की.


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मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष ने '' होली की फाग'', कव्वाली '' चढ़ता सूरज धीरे-धीरे'' की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस दौरान होली की फाग पर नृत्यांगना राजभारती ने नृत्य की प्रस्तुति दी. इस सत्र का संचालन मनीषा आर्य सोनी और रवि शुक्ल ने किया. संगत में की-बोर्ड पर असद अली, ढोलक पर शमीम, पेड पर टीपू रहमान रहे. कार्यक्रम की अगली कड़ी में सुमेरु भजन संध्या की प्रस्तुति जितेंद्र सारस्वत द्वारा दी गई जिसमें उन्होंने ''तुम से ही जोड़ी साची प्रीत'', '' सांसों की माला में सिमरु मैं तेरा नाम'', '' गुरु सत्संग है प्राणों से प्यारा'', '' चौक पुराउ मंगल गाउँ'' और अन्य भजन सुनाए।


झांसी के बुंदेलखंड नाट्य कला केंद्र की हास्य व्यंग्य प्रस्तुति '' मैं बोझ नहीं भविष्य हूं'' का मंचन डॉ हिमांशु द्विवेदी के निर्देशन में हुआ. '' बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ'' विषय पर आधारित इस नाटक में हास्य व्यंग्य के माध्यम से इस ज्वलंत विषय को रेखांकित किया गया. अत्यंत ही सहज और सरल शैली में प्रस्तुत संगीतमय नाटक बेहद उपयोगी होने के साथ-साथ एक संदेश भी छोड़ता है.


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समारोह में मौजूद राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष गोपाल व्यास ने कहा कि बीकानेर की रंग परंपरा बहुत समृद्ध है. ये देश भर में विशिष्ट पहचान रखती है. यहां नाटक की समझ रखने वाले लोग हैं. साथ ही लोक कलाओं के संरक्षण के लिए भी बीकानेर देश भर में प्रसिद्ध है. उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन समय-समय पर होने चाहिए. राज्य मेला प्राधिकरण के अध्यक्ष रमेश बोराणा ने कहा कि युवाओं का रंगकर्म से जुड़ना अच्छा संकेत है. इससे नाट्य परंपरा की समझ भावी पीढ़ी तक पहुंच सकेगी. इस दौरान तीन दिनों से चल रहे फोटोग्राफी प्रशिक्षण शिविर में विजेता रहें प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट और नकद राशि देकर सम्मानित किया गया.


Reporter- Rounak vyas