राजस्थान में किसान खून के आंसू रोने पर मजबूर, बर्बादी की कगार पर अन्नदाता
रेगिस्तान के रेतीले टीलों पर हुई बेमौसम ओलावृष्टि ने सोने जैसी रेत को बर्फ के टीलों में बदल दिया. दिखने में जितना यह मनोरम है किसानों के लिए उतना ही भयानक सपना है. इस बेमौसम हुई ओलावृष्टि ने किसानों को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया.
Nokha: रेगिस्तान के रेतीले टीलों पर हुई बेमौसम ओलावृष्टि ने सोने जैसी रेत को बर्फ के टीलों में बदल दिया. दिखने में जितना यह मनोरम है किसानों के लिए उतना ही भयानक सपना है. इस बेमौसम हुई ओलावृष्टि ने किसानों को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर दिया. बीकानेर के नोखा क्षेत्र में एक के बाद एक आई आपदा के साथ-साथ लगातार मौसम की मार ने किसानों को बहुत नुकसान दिया है. बारिश के साथ ओलावृष्टि ने खेत में खड़ी फसल तो खराब की ही साथ में जो पिछली पक्की पकाई तोड़ी हुई फसल थी उसको को भी बर्बाद कर दिया. किसानों को अपनी किस्मत मुठी में रेत की तरह निकलती नजर आ रही है.
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पश्चिमी विक्षोभ के कारण जिले में आए मौसम के बदलाव ने गर्मी से एक तरफ से राहत दी है. वहीं, दूसरी तरफ किसानों की कमर तोड़ दी है. बीकानेर क्षेत्र के पांचू, सोमलसर, रामनगर, देसलसर, हिंयादेसर, कुदसू, साठिका, ढिंगसरी, किशनासर, साधुना, उदासर में जमकर ओले गिरे. कई गांवों में तीन माह पूर्व की गई ईसबगोल, जीरे, चना, सरसों की बिजाई की गई फसलें अब पूरी तरह पकड़ करने को तैयार थी. किसानों के चेहरों पर खुशी भी थी कि फसल पकाई पर है और जल्द ही उसे बाजार में बेच वह अपने और परिवार के सपने पूरे करेगा. किसान के सपनों के पंखों से सपनों को पूरा करने के लिए फैलाता उससे पहले ही ओलावृष्टि और तेज बारिश ने सपनों को चौपट कर दिया.
किसान हमेशा कभी सिंचाई पानी तो कभी मौसम की मार से रूबरू होता रहता है. बेमौसम हुई ओलावृष्टि से हुए किसानों के नुकसान को लेकर किसानों को एक आस है कि राजस्थान के संवेदनशील सरकार जरूर उन्हें उचित मुआवजा मुहैया करवाएगी
Report: Tribhuvan Ranga