Bikaner: लंपी स्किन डिजीज का प्रभाव बीकानेर जिले में भी देखा जा रहा है, अब तक 84 हजार के करीब गाय इस संक्रमण की चपेट में आ गई है, तो वहीं प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए इनका इलाज शुरू कर इनको मौत के मुंह से निकालने का प्रयास किया है. 


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लंपी के संक्रमण से बीकानेर जिला भी अछूता नहीं रहा है, बात चाहे ग्रामीण क्षेत्र की करें या शहरी क्षेत्र के हर जगह इस संक्रमण का असर दिखाई दे रहा है. अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो अब तक करीब 84 हजार पशु इस संक्रमण की चपेट में आ गए हैं, तो वहीं सैकड़ों पशु मौत का ग्रास बन चुके हैं. जिला प्रशासन और पशु चिकित्सा ने संक्रमण को गंभीरता से लेते हुए इस पर प्रभावी रूप से काम करना भी शुरू कर दिया है, जिससे हजारों गोवंश की मौत होने से बच गई. 


अगर सरकारी आंकड़ों की तो अब तक 84 हजार के करीब पशुधा इस संक्रमण का शिकार हो चुका है. इसी के तहत 71 हजार गायों का इलाज किया गया, जिसमे 44 हजार पशु रिकवर हो गए, तो वहीं 2 हजार पांच सौ के करीब गाय की मौत हो गई. हालांकि प्रशासन द्वारा अभी भी सरकारी स्तर और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इलाज किया जा रहा है. 


गौशाला संचालन के सदस्य ताराचंद ने बताया कि बीकानेर शहर में जैसे ही इस बीमारी का प्रकोप बढ़ा तो श्री मुरली मनोहर गोचर समिति की तरफ से यह निर्णय लिया गया की हमारी गौ माता के ऊपर संकट में कार्य कोविड-19 की जैसी व्यवस्था करेंगे. इसी परिप्रेक्ष्य में 5 अगस्त 2022 को लंपी सेंटर की शुरुआत की. इस सेंटर में 40 से 50 गाय दिन में आती थी. प्रशासन ने भी अपनी तरफ से डॉक्टर की व्यवस्था करवाई है. दवाईयों की कालाबाजारी को लेकर हमने निजी तौर पर दवा व्यापारियों से बात कर दवा खरीदी. आज सबसे ज्यादा दवा हमारे पास है और मृत गाय को गंगाजल अर्पित कर उसे समाधि देते हैं. 


गोरक्षण समिति के ब्लॉक उपाध्यक्ष ने बताया कि हमने यहां पर मेडिकल की पूरी व्यवस्था कर रखी है. डाक्टरों की टीम पूरी मेडिकल व्यवस्था यहां है. ऐसी कोई भी दवाई नहीं है, जो यहां उपलब्ध न हो. हमारे यहां इस लंपी सेंटर में 50 कार्यकर्ता 24 घंटे लगे हुए हैं. दोनों टाइम टेंपरेचर जांच बुखार के दिन भर डाटा टाइप किया जाता है. एक रजिस्टर मेंटेन किया जाता है, किस टोकन नंबर की गाय का कितना टेंपरेचर मिला, उसका सारा डाटा रहता है. 


गो पालक ने बताया कि हमारा इस बीमारी मे बहुत नुकसान हुआ है. दूध कम होने से हमारा मार्जन कम हो गया. भविष्य में क्या करेंगे यह देखकर हमें बहुत अफसोस होता है. अब हम क्या करें, इसलिए सभी भाईयों से निवेदन है, कि इस सेवा कार्य में जितना भी जितना हो सके, गायों को बचाने की कोशिश करें, ताकि अपना गोधन बच सके. 


Reporter- Rounak vyas


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