Navratri Special: पूरे देश में दुर्गा मां के हज़ारो मंदिर हैं, लेकिन राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां मंदिर में एक, दो नहीं बल्कि हज़ारों चूहे हैं. जहां लोग मंदिर में माता के दर्शन से मनोकामना पूरी करते हैं. बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता का मंदिर जो की चूहों वाली माता के नाम से भी विश्व विख्यात है. यहां हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते है क्योंकि मंदिर में हज़ारों चूहे हैं.


नवरात्रि में दर्शन से होती है मनोकामना पूरी 


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विश्व प्रसिद्द करणी माता का मंदिर जिन्हें की चूहों वाली माता भी कहा जाता है, यह मंदिर बीकानेर के देशनोक में है, जहां भक्त माता के साथ चूहों की भी पूजा करते हैं, यह एक मात्र मंदिर है जहां हजारों की संख्या में चूहे हैं, माता के इस दर पर आने वाला कभी खाली नहीं जाता, माता सब की मनोकामना पूरी करती हैं.


 दुनिया का एक मात्र अनोखा मंदिर जहा हज़ारों चूहे हैं, और उन्हें मां करनी का पुत्र कहा जाता है. बीकानेर से 35 किलोमीटर दूर संगमरमर से बना मां करनी का भव्य मंदिर. एक ऐसा मंदिर है, जोकि अपने आप में अनूठा है, यहां भक्त दर्शन को आते हैं और साथ ही चूहों के भी दर्शन करते हैं. और चूहों को दूध चढ़ाते हैं, ऐसा माना जाता है कि चूहों को दूध चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है. पुरे देश से लोग यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.


 राजनीतिक परिप्रेक्ष् से देखा जाए तो राजस्थान के बड़े मंदिरों में से एक होने के चलते यहां सीएम से लेकर हर कोई शीश झुकाता है. सोनिया गांधी से लेकर वसुंधरा राजे ओर भैरोसिंह शेखावत , सीएम भजनलाल शर्मा तक इस मंदिर में विशेष पूजा के लिए पहुंच चुके हैं. वहीं, सियासत के लिहाज़ से देखा जाए तो राजपूत समाज की कुलदेवी के नाते राजपूत वोटर के तौर पर भी नेता यहां पहुंचते हैं


मां करनी का यह मंदिर 600 साल पुराना है, यह मंदिर अपने हजारो चूहों की वजह से प्रशिद्ध है, यहां भक्त चूहों को दूध और प्रसाद चढ़ाते हैं और मनोकामना मांगते है.यहां की लोक मान्यता है की मां करनी ने अपने पति को अपना असली रूप दिखा कर अपनी बहिन से शादी करने को कहा, और जब छोटी बहन के चार बेटो में से एक की मृत्यु तालाब में डूबने से हुई तो मां करणी ने यमराज धर्मराज से उसे वापस मांगा पर जब ऐसा नहीं हुआ तो मां करणी ने चारण जाति को ये आशीर्वाद दिया की अब इस जाति में जिसकी की मृत्यु होगी. वो मृत्यु के बाद काबा यानी चूहा बनेंगे और जब किसी चूहे (काबे ) की मृत्यु होगी तो वो चारण जाति में जन्म लेगा. इसलिए यहां जो चूहे हैं उन्हें काबा कहा जाता है, काबा यानी मां करनी के पुत्र. चारण जाति के लोग ही मां करनी के पुजारी होते है.


वहीं, इस मंदिर में चूहों को लेकर भी एक अलग कहानी है, जहां मंदिर के माता की गुफ़ा में रहने वाले चूहे वो हैं, जिन्होंने इंसान के वक़्त में अच्छे कर्म किए जिनके कारण उन्हें मां के पास गुफ़ा में स्थान मिला. वहीं, जिन चारण जाति के लोगों ने इंसानियत के दौरान ग़लत कर्म किया उन्हें मंदिर के बाहर प्रांगण में जगह मिलती है.
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सफ़ेद चूहे का महत्व 


माँ करनी के मंदिर में सेकड़ो चूहे है और चूहों को काबा यानी मां करनी का पुत्र कहा जाता है, यहां मंदिर में जो चूहे हैं, वो आम चूहों से अलग है यहां मंदिर में अगर किसी चूहे की मृत्यु हो जाए तो उसकी बदबू नहीं आती और ना यहां छोटे चूहे मंदिर में दिखाई देते हैं. अगर इन चूहों में आपको सफ़ेद चूहा दिख जाए तो आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी होगी. मां करनी के इस मंदिर में घंटो भक्त सफ़ेद चूहे के दर्शन के इंतज़ार में खड़े रहते है.


मंदिर का इतिहास 


माँ करनी का मंदिर जिसकी गुफा स्वयं माँ करनी ने अपने हाथों से बनाई और एक सौ-पचास साल तक इस गुफा में बैठ कर तपस्या की उसके बाद समय समय पर बीकानेर के राजा महाराजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया. लेकिन महाराजा गंगा सिंह जो की माँ के अनन्य भक्त थे, उन्होंने इस पूरे मंदिर को संगमरमर से बनाया जो की कारीगरी की एक मिसाल है. चांदी का भव्य द्वार इस मंदिर की शोभा बढ़ता है.


माँ करनी का मंदिर पर्यटन के लिहाज से भी काफी महत्त्व रखता है. जहां साल भर भक्तों और देशी-विदेशी सैलानियों का तांता लगा रहता है. जो लाखों चूहों के इस मंदिर को देख कर हैरान रह जाते हैं.


बीकानेर आने वाला हर पर्यटक देशनोक मंदिर ज़रुर आता है, क्यों की देश का एक मात्र ये अनोखा मंदिर है. जहां माता करनी के साथ-साथ चूहों की पूजा भी की जाती है, एक ऐसा मंदिर जहां लाखों चूहे हैं, मगर यहां कोई बिमारी या महामारी नहीं हुई, कैसे इतने चूहे सिर्फ मंदिर के परिसर में रहते हैं, ये पर्यटकों के लिए एक कोतुहल का विषय हैं.


इस मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को पैरों को घसीट के चलना होता है, कहीं कोई चूहा उनके पैर के नीचे न आ जाये. जहां पर्यटकों और श्रधालुओं का वर्ष भर मेला लगता है, कुछ मुरादे मांगने आते है और कुछ मुरादे पूरी होने पर माँ के दरबार में नत मस्तक करने आते हैं, क्या देशी क्या विदेशी भक्तोंका ताँता साल भर ही लगा रहता है. इस मंदिर में जो भी आता है वो इस बात से बड़ा आश्चर्यचकित होता है की हजारो की संख्या में चूहे जब उनके आस पास से गुजरते हैं, तो उन्हें एक ऐसा एहसास होता है जिसकी वे कल्पना तक नहीं कर सकते. साल भर श्रधालुओ का सैलाब आप को देखने को मिलेगा.


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