Indian Economy: भारतीय रिजर्व बैंक के दिसंबर के बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में इससे जुड़ी जानकारी दी गई है. आर्टिकल में कहा गया कि ग्लोबल इकोनॉमी स्थिर वृद्धि और नरम महंगाई के साथ जुझारूपन दिखा रही है.
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Indian Economy Slowdown: इंडियन इकोनॉमी सितंबर महीने में खत्म हुई चालू फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही में आई सुस्ती से उबर रही है. इसे मजबूत त्योहारी गतिविधियों और ग्रामीण मांग में लगातार उछाल से समर्थन मिल रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिसंबर के बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में इससे जुड़ी जानकारी दी गई है. आर्टिकल में कहा गया कि ग्लोबल इकोनॉमी स्थिर वृद्धि और नरम महंगाई के साथ जुझारूपन दिखा रही है.
दूसरी तिमाही की सुस्ती से उबर रही इकोनॉमी
इसके अनुसार ‘2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए अहम आंकड़े (HFI) बताते हैं कि इंडियन इकोनॉमी दूसरी तिमाही में देखी गई सुस्ती से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधियों और ग्रामीण मांग में लगातार उछाल के कारण है.’ आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के लीडरशिप वाली एक टीम के इस लेख में कहा गया कि रबी की बुवाई में तेजी के साथ कृषि की संभावनाएं बेहतर हुई हैं, इसलिए ग्रामीण खपत में भी सुधार की उम्मीद है.
दूसरी छमाही में वृद्धि दर बढ़ने के लिए तैयार
इसके अनुसार साल 2024-25 की दूसरी छमाही में वृद्धि दर बढ़ने के लिए तैयार है, जो मुख्य रूप से मजबूत घरेलू निजी खपत मांग से प्रेरित है. लेखकों ने कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी आ रही है और बुनियादी ढांचे पर लगातार सरकारी खर्च से आर्थिक गतिविधियों और निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
हालांकि, प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां वृद्धि और मुद्रास्फीति के मोर्चे पर जोखिम पैदा कर सकती हैं. चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है. आरबीआई ने कहा कि लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और ये केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. (इनपुट-भाषा)