Kolayat: कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता, न उम्र की जरूरत होती है और न ही अनुभव की, बस जुनून की जरूरत होती है. एक ऐसे बालक जो ग्रामीण क्षेत्र में रहने के बाद भी अपने बनाए मॉडल से बड़ो-बड़ो को आकर्षित कर रहा है. 


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बच्चे द्वारा बनाए गए मॉडल गांव के ही नहीं बल्कि शहर से भी लोग आते है और देखने के बाद प्रशंसा करते नहीं थकते. 13 साल का मयंक कार, बस, ट्रेक्टर जैसी कई मशीनरी की बीस से ज्यादा हूबहू मॉडल बना चुका है. कहते है कि पुत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं. समय के साथ उनके अंदर की प्रतिभा सभी को दिखाई देती है. ऐसी ही अनोखी प्रतिभा कोलायत क्षेत्र के छोटे से गांव झाझु मे रहने वाले मयंक की जो किसी भी चीज को देख उसका हूबहू मॉडल तेयार कर देता है. 


आठवीं में पढ़ने वाला मयंक ने हूबहू दूसरी गाड़ियों को देखकर उसके मॉडल बना दिए. मयंक अब तक एक ही नहीं बल्कि 20 से अधिक गाडी, कार, डीजे, टैक्टर के मॉडल बना चूका है. 13 साल के मयंक का कहना है कि बचपन से गाड़ियों, खिलौने का शौक था. हर खिलोने को खोलकर उसे देखर हूबहू बनाने का प्रयास करता था. कभी कुछ चीजें खराब हुई तो कुछ अधूरी बनकर रह जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे करते अब कोई भी मॉडल बना सकता है. मयंक ने बताया कि सनबोर्ड की सीट से आकर्षक जीप, कार, डीजे, गन और ट्रेक्टर के मॉडल तैयार करने के साथ साथ एक सुज्जित घर के मॉडल का भी निर्माण कर रहा है. 


मयंक की मां सुमन ओर पिता धनपत का कहना है कि पहले तो वे अपने बच्चे की प्रतिभा को पहचान नहीं पाई, लेकिन अब वह भी उसका पूरा सहयोग करती है. जिस उम्र में बच्चे मोबाईल से खेलते है वही मंयक अपने हुनर से मॉडल बनाने में जूटा है. यदि इस ग्रामीण प्रतिभा को प्रोत्साहन मिले तो आने वाले दिनों में वो अपने हुनर से कुछ बड़ा कारनामा भी कर सकता है. मॉडल बनाने के लिए जिस भी चीज की आवश्यकता होती है उसको उपलब्ध करवाई जाती है जिससे इसको कोई परेशानी नहीं हो.


मयंक को बचपन से गाड़ियों का शौक है जब भी वो किसी गाड़ी को देखता है तो उसका मॉडल बना देता है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला मयंक बड़ा होकर इंजीनियर बनना चाहता है, ताकि अपने हुनर के बल पर देश का नाम रोशन का सके. खेलने, पढ़ने के साथ अपने मॉडल बनाने के हुनर को भी पूरा समय देता है. अभी तक मयंक गांव के लोग उसके मॉडल को देखकर उसकी तारीफ भी करते हैं. वहीं परिवार के लोग भी बालक के हुनर को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं. 


Reporter: Tribhuvan Ranga