Republic Day 2024: पूरे देश में आज गणतंत्र दिवसे के मौके पर ध्वाजारोहण हुआ और विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ.भारत के 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आपको बताते हैं राजस्थान के ऐसे ही एक सूरमा के बारे में जिन्होंने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे. 


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साल 1999 में कारगिल में युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा था. इस युद्ध में भारत मां के की बेटे शहीद हुए.इस युद्ध के दौरान राजस्थान के करौली के एक ऐसे रिटायर्ड हवलदार भी थे जो कारगिल के  युद्ध में मेजर के मना करने के बाद भी जंग के मैदान में उतरे.


बात कर रहे हैं सेना से रिटायर्ड हवलदार तेजेंद्र सिंह जादौन की. सेना से रिटायर्ड हवलदार तेजेंद्र सिंह जादौन की माने तो जब उनकी यूनिट को पता लगा कि  कारगिल की लड़ाई शुरू हो गई है तो उनकी यूनिट के पास संदेश आया कि  श्रीनगर मार्च करना है. इसके बाद उनके सीईओ साहब ने ऑर्डर दे दिया कि जल्दी बिस्तर और हथियार बांधकर गाड़ियों में बैठ जाएं. वह अपने जवान साथियों के साथ सिलीगुड़ी से ट्रेन के जरिए श्रीनगर 3 दिन में पहुंचे थे.


तेजेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि उनके मेजर साहब व कंपनी कमांडर का उनके लिए कारगिल की लड़ाई में आदेश था कि वह लड़ाई में नहीं जाएंगे. सन 1990 में कारगिल में इस हवलदार का बर्फ में दबना इसकी वजह था. उनकी कैटेगरी – B बर्फ में दबने वाले हादसे के बाद हो गई थी. युद्ध में न जाने का आदेश फिजिकल कैटेगरी B होने की वजह से ही  था. लेकिन वह नहीं रुके और पेपर पर साइन करके अपनी ही जिम्मेदारी पर लड़ाई में लड़ने मैदान में उतर गए.  रोज रात को ही ब्लैकआउट मार्च यानी कि अटैक तकरीबन 2 महीने तक चलने वाली इस लड़ाई में होता था. तेजेंद्र सिंह जादौन ने कहा कि लड़ाई में बिना ओपी के आदेश के कोई फायर नहीं होता था.उन्होंने कहा कि जब भी उनकी तरफ से फायर किया जाता तब पाकिस्तान की तरफ से सभी फायर बंद हो जाते थे.