Bundi news: बफर के पहाड़ों पर भरे है जल के अक्षय भंडार, कालदां वन क्षेत्र को बाघों के अनुकूल बनाने की तैयारी शुरू
Bundi latest news: राजस्थान के बूंदी जिला के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही कोर के साथ ही अब बफर जोन के जंगलों को भी बाघों के अनुकूल बनाने का काम वन विभाग ने शुरू कर दिया है.
Bundi news: राजस्थान के बूंदी जिला के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही कोर के साथ ही अब बफर जोन के जंगलों को भी बाघों के अनुकूल बनाने का काम वन विभाग ने शुरू कर दिया है. इन क्षेत्रों में जुलिफ्लोरा को हटाकर ग्रासलैंड विकसित किए जाएंगे व वन क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों को कम कर इन्हें वन्यजीवों के लिए अच्छे आश्रयस्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. रिजर्व में वन्यजीवों से समृद्ध एव जैवविविधता के लिहाज से महत्वपूर्ण दुर्गम कालदां वन क्षेत्र का बुधवार को टाइगर रिजर्व के बफर जोन से जुड़े वन अधिकारियों ने अवलोकन कर ग्रासलैंड विकसित करने के लिए वन क्षेत्र को चिह्ननित किया.
इस दौरान टाइगर रिजर्व बफर के नवनियुक्त उपवन संरक्षक ओमप्रकाश जांगिड़, सहायक वन संरक्षक सुनील धाबाई, क्षेत्रीय वन अधिकारी मनीष शर्मा, पर्यावरण प्रेमी पृथ्वी सिंह राजावत, गुढ़ानाथावतान नाका प्रभारी श्योजी लाल चौहान व वन रक्षक रमेश मीणा ने करीब 15 किलोमीटर पैदल गश्त कर वन क्षेत्र को देखा. टीम ने गुढ़ा नीम का खेड़ा वन खण्ड में भूकी का नाला, छोटा व बड़ा डबका, देवनारायण की वनी, खजूरी का नाला, टोला का खाळ आदि वन क्षेत्रों का दौरा किया. शीघ्र ही यहां ट्रेकिंग रूट निर्माण व ग्रासलैंड विकसित करने के साथ साथ पौधारोपण का काम भी शुरू होगा. वन विभाग की नियमित गश्त व जिला कलेक्टर द्वारा सम्पूर्ण टाइगर रिजर्व क्षेत्र में धारा 144 लगाने से इस वर्ष वन क्षेत्रों में पशुपालकों के प्रवेश व बाड़े बनाने पर रोक लगी है. रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर व बफर जोन में परम्परागत जलस्रोतों पर 12 माह पानी की उपलब्धता मूक प्रणियों के जीवन का आधार बने हुए हैं. जिले में रिजर्व के कोर में मेज नदी के अलावा दो दर्जन प्राकृतिक जल-स्रोत हैं, जिनमें 12 माह पानी रहता है.
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इलाका फिर से बाघों से आबाद होने लगा
इसी प्रकार रिजर्व के बफर जोन में देवझर महादेव से भीमलत महादेव के दुर्गम पहाड़ी जंगलों में भी डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर भीषण गर्मी में भी कल-कल पानी बहता रहता है. साल भर दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में जल उपलब्धता के चलते मूक प्रणियों के लिए बूंदी के जंगल सदियों से प्रमुख आश्रय-स्थल बने हुए हैं. इनमें से कई प्राकृतिक जल-स्रोत तो पहाड़ी की चोटियों पर है, जिनमें भीषण गर्मी में भी जल प्रवाह बना रहता हैं. जल उपलब्धता के कारण जिले में भालू, पेंथर सहित अन्य वन्यजीवों का कुनबा बढ़ा है तथा इलाका फिर से बाघों से आबाद होने लगा है.
जिले के सुदूर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में गर्मियों में भी जल उपलब्धता वाले जल स्रोत जैव-विविधता के वाहक होने के साथ-साथ आम-जन के प्रमुख आस्था केंद्र के रूप में भी उभरे हैं. इनमें पहाड़ी चोटी पर स्थित कालदां माताजी का स्थान प्रमुख है जहां भीषण अकाल में भी पानी का एक बड़ा दह भरा रहता हैं तथा प्राकृतिक रूप से यहां चट्टानों से पानी निकलता है. इसी कारण इसका नाम कालदह पड़ा जो अब कालदां वन खण्ड के रूप में जाना जाता है.
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बाघों के प्रमुख आश्रय स्थल सिद्ध होंगे
इसी पहाड़ी पर उमरथुणा के निकट केकत्या महादेव, सथूर के निकट देवझर महादेव, आम्बा वाला नाला, डाटूंदा के पास दुर्वासा महादेव, पारा का देवनारायण, नारायणपुर के पास धूंधला महादेव, खीण्या-बसोली के पास आम्बारोह, भीमलत महादेव, नीम का खेड़ा के पास झरोली माताजी, खेरूणा के नीलकंठ महादेव आदि स्थान सदाबहार जलयुक्त होने के कारण सदियों से ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहे व आज तक आस्था के प्रमुख केंद्र बने हुए हैं. इसी प्रकार जिले के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य में रामेश्वर महादेव, झर महादेव, डोबरा महादेव, गेंद का महादेव, धूंधलेश्वर महादेव, खेळ का महादेव, माण्डू का महादेव आदि स्थान जल के कारण ही प्रमुख आस्था-धाम बने हुए हैं. इसी प्रकार तलवास के सदाबहार वन क्षेत्र वह भीलवाड़ा जिले के बांका वन खंड के सीता कुंड वह भाला कुई जैसे महत्वपूर्ण ये एवं धार्मिक स्थल ही आने वाले समय में टाइगर रिजर्व में बाघों के प्रमुख आश्रय स्थल सिद्ध होंगे.
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