Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ के आजोलिया खेड़ा में रामलीला का आयोजन. आधुनिकता एवं पाशचत्य संस्कृति के इस दौर में संस्कृति को आज भी गांवो में जीवंत रखा जाता है, आजोलिया खेड़ा की रामलीला इसका साक्षात उदाहरण है. आधुनिकता के दौर में संस्कृति को 53वर्षों से जीवंत रखें हैं आजोलिया खेड़ा कि रामलीला. रामलीला मंडल की शुरुआत करने वाले तो अब नहीं रहें लेकिन आयोजकों का दायित्व आज भी पीढ़ी बिल्कुल विरासत की तरह सम्भाल रही है.


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धर्म में आस्था रखने वाले गांव ने प्रारंभ में इसका खर्च गांव के ही सहयोग से शुरू किया. वर्षों से मंच पर की जाने वाली रामलीला मर्यादा कर्तव्य निष्ठा संस्कारों के साथ ही सनातन परंपरा को प्रदर्शित कर रही है.
पूर्व सरपंच देवकिशन जाट ने बताया कि 50 वर्ष पूर्व जब रामलीला होती थी, तब बांस की बलियों से एवं त्रिपाल से स्टेज बनाकर लीला का मंचन किया जाता था. आज बालाजी की कृपा से आरसीसी छत एवं दृश्य को दिखाने के लिए बड़ी एलईडी लगाई गई है, जो संभवतया राजस्थान में पहली बार लगाई गई है.


पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी कर चुके प्रशंसा


तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जब सोनिया गांधी के साथ चित्तौड़ आए थे, तब आजूलिया का खेड़ा में चल रही रामलीला की खूब प्रशंसा की थी. उस समय सांसद सीपी जोशी, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, पूर्व सभापति सुशील शर्मा, सभापति संदीप शर्मा, तत्कालीन कलेक्टर रवि जैन, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राघवेंद्र सुभाष इस रामलीला की खूब प्रशंसा कर चुके हैं.


यह निभाते हैं किरदार


रामलीला में व्यास पीठ पर पंडित मोहनदास रहते है, निर्देशक बालू जाट, दशरथ परमेश्वर जाट, रावण रामेश्वर तेली, राम पन्ना लाल जाट, लक्ष्मण डॉ सुभाष शर्मा, विष्णु सचिन त्रिपाठी, सीता शहजाद हुसैन, भरत प्रभु जाट, कुंभकरण दिलखुश तिवारी रामलीला में किरदारों को जीवंत करते नजर आते हैं.


Reporter - Deepak Vyas


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