Chittorgarh news: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिलें के कपासन क्षेत्र में राजेश्वर सरोवर तालाब सहित सूखे पड़े अन्य तालाबों में बनास नदी का पानी लाने की मांग लगातार जोड़ पकड़ती जा रही है. इसी मांग को लेकर रविवार को किंग सेना मातृभूमि धर्म संघ के बैनर तले हजारों की तादाद में महिला-पुरूषों ने राजसमंद जिले के सिंदेसर स्थित बनास नदी में अर्ध जल-समाधि लेकर तालाब भरो आंदोलन की शुरूआत कर दी. जिसमें दशकों से पेयजल संकट से जूझ रहे कपासन कस्बेवासियों सहित आस-पास के ग्रामीण हाथ में तिरंगा लेकर भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाते हुए पछमता पंचायत के सिंदेश्वर में बनास नदी में प्रवेश कर गए. 


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महिलाओं और पुरूषों में इस बात का जमकर आक्रोश था कि क्षेत्र में भारी बारिश होने के बावजूद चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन, धमाणा और ढिंढोली के तालाब सूखे हैं, जबकि इन तालाब से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही बनास नदी बह रही है. बनास नदी का पानी कपासन से 20 किलोमीटर दूर मातृकुंडिया तालाब में इकट्ठा होकर बाद में जयपुर के बीसलपुर बांध तक जा रहा है. लेकिन कपासन की 40 हजार की आबादी का पेयजल का प्रमुख स्रोत राजराजेश्वर तालाब दशकों से सूखा रहता आया है. तालाब भरो आंदोलन में बनास नदी में कमर तक पानी में बैठी महिलाओं का यही कहना था कि आधा मानसून बीत चुका है. लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया. हर साल की यही कहानी है. हम अपने बच्चों का कहां से पानी पिलाएं. मवेशियों के लिए कहां से पानी पिलाएं. 


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अर्ध जल समाधि लिए हुए किंग सेना संगठन के महासचिव सुनील निमावत ने कहा कि यह कपासन, धमाणा, डिंडोली और भोपालसागर की जनता का दुर्भाग्य ही है कि इनकी आवाज को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और जयपुर में आई सरकारों ने नहीं सुना. वहीं संगठन के रणनीतिकार घनेन्द्र सिंह सरोहा ने कहा कि राज्य सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने के लिए ही संगठन ने क्षेत्रीय जनता के साथ मिल इस अनिश्चितकालीन जलसमाधि आंदोलन की शुरूआत की है. जब तक सरकार मांगों की पूर्ति नहीं करेगी, बनास नदी के पेटे में आंदोलन जारी रहेगा. इस बीच मौके पर रेलमंगरा और आस-पास के थानों की पुलिस मौके पर स्थिति का जायजा लेती रही. समाचार लिखे जाने तक देर रात तक ग्रामीण महिला - पुरूष बनास नदी के पेटे में अर्ध जल समाधि लिए हुए थे.