चित्तौड़गढ़ सब्जी मंडी परिसर की बुरी हालत, पेयजल और शौचालय की नहीं व्यवस्था
Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ की एक मात्र सब्जी मंडी भगवान भरोसे चल रही है. यहां पर पेयजल और सुलभ शौचालय जैसी व्यवस्थाएं तक नहीं की गई और यहां कचरे का ढेर लगा रहता है.
Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय की एक मात्र कृषि उपजमंडी समिति की फल एवं सब्जी मंडी दुर्दशा की शिकार होती नजर आ रही हैं. चित्तौड़गढ़ की 50 साल से ज्यादा समय से संचालित पुरानी सब्जीमंडी जो गत 18 सालों से एक ही स्थान पर संचालित है, इसमें जिलेभर सहित गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश के छोटे बड़े किसान, व्यापारी सहित 10 हजार से ज्यादा किसान प्रतिदिन फ्रूट और सब्जी, फसल खरीदी और बेचने पहुंचते हैं.
बावजूद इसके कृषि उपज मंडी समिति या प्रशासन की ओर से यहां आने वाले आगंतुकों मूलभूत आवश्यकताओं का बंदोबस्त तक नहीं किया जा रहा और डेढ़ दशक से ज्यादा समय से मूलभूत आवश्यकताओं के अभाव में ये सब्जी मंडी भगवान भरोसे चल रही है.
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स्थानीय व्यापारियों के अनुसार, आगंतुकों के लिए मंडी परिसर पेयजल और सुलभ शौचालय जैसी व्यवस्थाएं तक नहीं की गई, जिसमें मुख्यतः महिलाओं को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर सब्जीमंडी परिसर में प्रवेश करने के दोनों गेटों के बाहर या अंदर ग्लो शाइन बोर्ड या सूचना बोर्ड नहीं लगावा रखा है.
सब्जीमंडी के मुख्य सिटी की ओर निकलने वाले गेट के बाहर सालों पुराना लगा एक बोर्ड भी यहां स्थित एक चाय की ठंडी के अतिक्रमण की जद में आने से आगंतुकों को दिखाई नहीं देता. वहीं, गेट के भीतर कर्मचारियों के किए निर्मित भवन पर सालों से ताला लगा है और इसके चारों ओर कचरे के ढेर और गंदगी का अंबार लगा पड़ा है. अधिकारी भी मानते है कि चित्तौड़गढ़ की एकमात्र कृषि उपजमंडी समिति की सब्जीमंडी के अलावा चित्तौड़गढ़ से 55 किलोमीटर दूर भीलवाड़ा, 40 किलोमीटर दूर कपासन और 30 किलोमीटर दूर निम्बाहेड़ा में में स्थित सब्जीमंडियो की हालात यहां से गई गुना बेहतर है.
निकटतम होने की वजह से चित्तौड़गढ़ और आसपास क्षेत्र से बड़ी तादाद में किसान और खुदरा व्यवसाई इसी कृषि उपजमंडी के सहारे निर्भर हैं. बावजूद इसके कोई दूसरा ऑप्शन नहीं होने से उन्हें अव्यवस्थाओं के अंबार में व्यापार करना पड़ रहा है. वहीं, फल, सब्जी, आलू आढ़तिया संघ के पदाधिकारियों और स्थानीय व्यवसाईयों ने बताया कि कृषि उपजमंडी समिति की ओर से की व्यवस्थाओं के लिए सफाई कर्मी और सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त कर रखे हैं, लेकिन वे ड्यूटी करना तो दूर भूले भटके भी यहां की स्थिति झांकने नहीं आते और बिना काम किए घर बैठकर विभाग से तनख्वाह उठा रहे हैं.
ऐसे में संघ की ओर से मजबूरन अपनी और से 9-9 हजार रुपये देकर दो सिक्योरिटी गार्ड लगाने पड़े. वहीं, सब्जी बिक्री प्लेटफॉर्म के चारों ओर चार दिवारी नहीं होने से आवारा गौवंशों का जमावड़ा लगा रहता है, जो किसानों की सब्जी को नुकसान पहुंचाने के अलावा आनेजाने वाले लोगों को हमला कर घायल कर देते हैं. व्यवसाईयों का तो ये तक कहना है कि प्रदेश की सभी कृषि उपजमंडी से तुलना की जाए तो सबसे बदत्तर हालात चित्तौड़गढ़ सब्जीमंडी की ही निकलकर सामने आएगी.
इधर, इस मामलें में कृषि उपजमंडी समिति सचिव संतोष कुमार मोदी ने कहा कि व्यापारियों की ओर से दावा किया जा रहा है कि प्रतिदिन 10 हजार लोग मंडी में आ रहे है, तो उतनी पर्चियां भी कटनी चाहिए, जो कट नहीं रही. यानी कि व्यवसाईयों का दावा गलत है. उन्होंने कहा कि सब्जीमंडी चल नहीं रही है, जिससे मंडी शुल्क आ नहीं रहा. ऐसे में ज्यादा कर्मचारी नहीं लगाए जा सकते. वर्तमान में तीन कर्मचारी लगा रखे हैं. व्यापारी और ज्यादा कर्मचारी लगाने की मांग कर रहे हैं. सफाई व्यवस्था नहीं होने पर सफाईकर्मियों को नोटिस जारी किया गया है. पेयजल और सुलभघर की व्यवस्थाएं जल्द करवाई जाएगी.
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वहीं, सब्जीमंडी व्यवसाईयों का दावा है कि पिछले 18 सालों से मूलभूत व्यवस्थाओं के अभाव है. जिम्मेदारों को कई बार अवगत करवाने के बावजूद डेढ़ दशक से कोरा आश्वासन नहीं मिल रहा है. कम से कम आगंतुकों के लिए पेयजल और सुलभ शौचालयकी व्यवस्था तो होनी ही चाहिए.