Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ के निलिया महादेव गौशाला समिति की ओर से दूसरे साल भी गोबर से बने 21 फीट के रावण के पुतले का अंतिम संस्कार किया जाएगा. पर इसें खासियत यह है कि पिछले साल की तरह इस बार भी लिटा कर ही रावण का दहन होगा. सुबह 11 बजे तक अंतिम संस्कार की सारी विधि पूरी की जा चुकी थी. साथ ही पुतले पर गले की माला, बाजूबंद नारियल से बनाया गया.


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इस मौके पर मौजूद पं. विष्णुदत्त शर्मा ने बताया कि रावण का दहन पटाखों के साथ करना हमारे शास्त्रों के खिलाफ है. क्योंकि वह एक ब्राह्मण योद्धा था जिसका अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. पाश्चात्य सभ्यता के चलते अब रावण के पुतलों में पटाखे भरने लगे है. पर अपने अपनी सभ्यता को बचाए रखने के लिए  सिस्टम में बदलाव करना चाहा. जो शास्त्रों में सही है. उसी के हिसाब से विजयादशमी के दिन रावण की अर्थी को लेटाकर उसका विधिवत रूप से अंतिम संस्कार करेंगे.
नारियल से बनाए गहने
रावण के लेटे हुए पुतले का काम शुरू हो चुका है. पुतले को 11 क्विंटल गोबर और कंडे से बनाया गया. उसमें सिंदूर और नारियल भी डाला गया. यह 21 फीट का रावण होगा. गहनों को नारियल से बनाया गया है. इस बार रावण की अर्थी नहीं निकाली जाएगी लेकिन पूरे रीति रिवाज के साथ ही अंतिम संस्कार किया जाएगा. पुतले को बनाने के लिए गौशालाओं से गोबर मंगवाए गए. इस काम के लिए निलिया महादेव गौशाला समिति लगातार जुटी है. 


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