Chittorgarh:कॉमन बॉयो वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी प्लांट के विरोध में आए ग्रामीण, ज्ञापन सौंपकर अन्य स्थान पर लगवाने की मांग
Chittorgarh: शहर के नजदीक स्थित सेमलिया ग्राम पंचायत के गांव जाफरखेडा के ग्रामीणों ने जाफखेड़ा में प्रस्तावित `संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण संयंत्र (CBWTF)` की स्थापना हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति पर लोक जनसुनवाई में आपत्ति दर्ज कराने हेतु ज्ञापन सौंपा.
Chittorgarh: शहर के नजदीक स्थित सेमलिया ग्राम पंचायत के गांव जाफरखेडा के ग्रामीणों ने जाफखेड़ा में प्रस्तावित "संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण संयंत्र (CBWTF)" की स्थापना हेतु पर्यावरणीय स्वीकृति पर लोक जनसुनवाई में आपत्ति दर्ज कराने हेतु ग्रांम पंचायत सेमलिया के सरपंच किशन शर्मा के नेतृत्व में जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल को ज्ञापन सौंपकर संयंत्र को अन्य स्थान पर लगवाने की मांग की है. ज्ञापन की प्रति जिला कलक्टर के अलावा राजस्थान राज्य प्रदुषण नियंत्रण मंडल चित्तौड़गढ़, राजस्थान के मुख्यमंत्री सहित कुल तीस सम्बन्धित विभागीय अधिकारियों को भेजी गई है.
ज्ञापन सौंपकर संयंत्र को अन्य स्थान पर लगवाने की मांग
ज्ञापन में बताया गया है कि ग्रामीणों को राजस्थान राज्य प्रदुषण नियंत्रण मंडल क्षेत्रिय कार्यालय चित्तौडगढ द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित कराई गई ''आम सुचना'' से विदित हुआ कि ग्राम जफरपुरा के खसरा न. 01 पर उपरोक्त संयंत्र की स्थापना की जा रही है, जिसके संबंध में आपत्तियां आमंत्रित की है, इस संबंध में ग्राम जकरखेडा, जफरपुरा, चोथपुरा और आसपास के समस्त ग्रामवासियों की ओर से पुरजोर विरोध किया जाता है क्योंकि चयनित स्थान पर "संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट निस्तारण संयंत्र (CBWTF)" लगाया जाना राजकीय कानूनों, नियमों एवं गाइड लाईन्स के अनुसार स्पष्ट उल्लंघन है.
पर्यावरण (प्रोटेक्शन) एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन
ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें ज्ञात हुआ है कि गांव जाफरखेड़ा में उक्त विषयक संयंत्र की स्थापना हेतु नगर परिषद्, चित्तौड़गढ़ द्वारा ई-टेक प्रोजेक्ट नाम की कम्पनी को हाल ही में भूमि का आवंटन किया है, इस सयंत्र में अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का निस्तारण किया जायेगा, जो प्रदुषणकारी उद्योगो की श्रेणी में आता है, यह स्थान केन्द्र सरकार के बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेन्ट नियम 2016 और इसके तहत जारी गाईड लाईन्स के बिन्दु संख्या-6 स्थान मापदंड के नियम सहित पर्यावरण (प्रोटेक्शन) एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है.
आवासीय और संवदेनशील क्षेत्र से दूर लगाने की मांग
उन्होंने कहा कि उक्त गाईडलाईन के बिन्दु (बी) के अनुसार यह संयंत्र आवासीय और संवदेनशील क्षेत्र से दूरी पर स्थित होना चाहिए. आसपास में राज्य, नेशनल हाईवे, अस्पतालों, किला, पुरातत्व स्मारक, सिंचित क्षेत्र, पर्वत आदि नहीं होने चाहिए, ताकि इससे निकलने वाली गंध, राख, धुआं, संक्रमण, शोरगुल, आदि का इन पर दुष्प्रभाव नहीं पड़े. इस संबंध में उक्त संयंत्र के स्थान के संबंध में तथ्यों को भी पेश किया गया है.
जिसके अनुसार यह संयंत्र नेशनल हाइवे से हवाई दुरी की दृष्टि से 500 मीटर के अन्दर आता है, जिससे हाईवे पर गंध, धुआं, राख, शोरगुल आदि से नुकसान होने की सम्भावना है. इससे एक तो दुर्घटना होने का डर है और दुसरा इससे गुजरने वाले व्यक्तियों आदि के स्वास्थ्य पर प्राणघात दुष्प्रभाव पड़ेगा. ग्रामीणों ने इसे नियमों का उल्लघन बताते हुए संबंधित कम्पनी को जानकारी होते हुए भी सिर्फ व्यवसायिक लाभ के लिए षडयंत्र करने का आरोप लगाया है.
इसके अलावा ग्रामीणों ने प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज, आबादी क्षेत्र का नजदीक स्थित होना भी कारण बताते हुए कहा है कि इस संयंत्र के स्थान के पास ही कई गांव बसे हुए है जिसमें जाफरखेडा गांव है जो 500 मी. से भी कम दुरी के अन्दर स्थित है. इस गांव में अच्छी संख्या में आबादी बसी हुई है नियमानुसार 500 मी. के अन्दर कोई आवासीय क्षेत्र नहीं होना चाहिए.
ग्रामवासियों की आजीविका को खतरा
ग्रामीणों ने कृषि भूमि के सिंचित क्षेत्र का हवाला देते हुए कहा है कि उक्त संयंत्र से निकलने वाली राख, धुआं और दूषित पानी आसपास की सिंचित भूमि और खेतों में जमेगा, जिससे फसलें खराब होगी और संयंत्र से निकलने वाला दूषित पानी जमीन में रिसाव होकर आसपास के कुओं के पानी को भी दूषित करेगा जिससे दुषित और जहरीली फसलें पैदा होगी. इसके साथ साथ आमजन पशुधन जो इन कुओं के पानी को पीते है और मवेशी जो यहां चराई करते है. उनके स्वास्थ्य पर प्राणघातक दुष्प्रभाव डालेगा और बीमारियां फैलेंगी, साथ ही ग्रामवासियों की आजीविका समाप्त हो जायेगी.
किले पर दुष्प्रभाव पड़ने और पुरातत्व स्मारक को खतरे का डर
ग्रामीणों ने चित्तौड़गढ के प्रसिद्ध गौरवशाली व ऐतिहासिक किले (FORT) पर भी इस संयंत्र के दुष्प्रभाव पड़ने का बताते हुए कहा है कि चित्तौड़गढ़ का प्रसिद्ध किला प्रमुख पुरातत्व स्मारक है. अतिसंवेदनशील क्षेत्र की श्रेणी में आता है, जिसे देखने के लिए लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते है. इस संयंत्र से उठने वाले धुएं और राख आदी से किले पर दुषप्रभाव पडे़गा और पुरातत्व स्मारक अपनी पहचान खो देगा - जबकि नियम के अनुसार 15 किमी. के परीधी में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होना चाहिए किन्तु यह किला 5 किमी के आसपास की हवाई दूरी पर स्थित है. अतः इससे सरकार द्वारा निर्धारित नियम का उल्लघंन होगा.
ग्रामीणों ने बताया कि ठोस कचरा निस्तारण के समीप होने पर आने वाले जेव चिकित्सा अपशिष्ट को बिना निस्तारण कर ठोस कचरे के साथ मिश्रित कर लाभ कमाने हेतु कम्पनी का षडयंत्र यह विषय विचारणीय है कि कम्पनी ने पूर्व में आवंटित दो बार जमीनों को ठुकारा कर सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए प्रस्तावित संयंत्र, ठोस कचरा निस्तारण के पास लगने का विचार किया ताकि वह अस्पतालों से आने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को बिना उपचार किए ठोस कचरे में मिलाकर उपचार में लगने वाले खर्चे को बचाकर मोटा मुनाफा कमा सके.
कम्पनी ने पास ठोस कचरा संग्रहण केंद्र नहीं
ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि चुंकि दो बार इस कम्पनी को पूर्व में भी भूमी आवंटित की गई थी लेकिन कम्पनी ने वहां प्लांट स्थापित नहीं किया क्योंकि उसके पास कोई ठोस कचरा संग्रहण केंद्र नहीं था. इससे स्पष्ट होता है कि आने वाली कम्पनी सिर्फ व्यवसायिक लाभ हेतु गलत तथ्य प्रस्तुत कर प्लांट स्थापित करना चाहती है जिसका ग्रामवासी पुरजोर विरोध करते है.
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सभी तथ्यों को जिला प्रशासन के समक्ष आपत्ति में दर्ज कराने हेतु ग्रामवासीयों जिला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि आप द्वारा विषय कि गंभीरता को सही नहीं आंका गया और ग्राम वासियों द्वारा दी जा रही आपत्तियों को संज्ञान में नहीं लाकर प्रस्तावित संयंत्र के प्रस्ताव को निरस्त नहीं किया जाता है तो समस्त आक्रोशित ग्रामवासी पुरजोर विरोध करते हुए जन आंदोलन करेंगे और उसमें होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार जिला प्रशासन और सरकार की होगी.
ये रहे मौजूद
ज्ञापन देते समय ग्राम पंचायत सेमलिया सरपंच किशन शर्मा के साथ अजय शर्मा, सोनू वैष्णव, आशीष गाडरी, कैलाश गाडरी, हीरालाल गाडरी, भगवती लाल अहीर, पुष्पेद्र सिंह, गोपाल, रतन शर्मा, बाबू लाल, हिम्मत सिंह , गिरिश मोड़, कृष्ण चंद्र शर्मा, रामलाल, मोती नायक, वरदु गाडरी, रमेश कुमार मोड़, नरेंद्र सिंह, राहुल नाथ, शम्भू लाल, चेतन जटिया, राजकुमार गाडरी, नारायण, ओमप्रकाश, अनिल शर्मा, मीठूलाल गाडरी, मोहन गुर्जर, नारायण माली आदि कई ग्रामीण उपस्थित थे.
Reporter- Deepak Vyas