Chittorgarah: चित्तौड़गढ़ में संस्कार शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे एकल अभियान कि ओर से चल रही अभ्युदय खेलकूद प्रतियोगिता का समापन रतन बाग गार्डन में किया गया. यह जानकारी देते हुए अभियान के सदस्य लक्ष्मण शर्मा ने बताया कि एकल अभियान कि ओर से ग्रामीण बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए खेलकूद प्रतियोगिता आयोजन किया गया, जो कि ग्राम स्तर से प्रारंभ होकर जिला, ब्लॉक स्तर, संभाग स्तर और प्रांत से होती हुई, अखिल भारतीय स्तर पर लखनऊ में संपन्न होगी.


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इसी क्रम में चित्तौड़ जिले के 300 गांव की इस प्रतियोगिता का फाइनल चित्तौड़गढ़ रतन बाग में खेला गया, जहां 500 से अधिक प्रतिभागी 100 से अधिक अभिभावक तथा आचार्य एवं पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही. कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र प्रातः रामस्नेही संप्रदाय के संत दिग्विजय राम रामस्नेही, उद्योगपति एवं भामाशाह ओमप्रकाश मानधना, एकल अभियान के जिला अध्यक्ष पहलाद प्रजापत, कोषाध्यक्ष बसंत गोयल, महिला समिति की जिला अध्यक्ष प्रेम मानधना, उपाध्यक्ष गीता देवी खटोड़, कोषाध्यक्ष मंजू तोषनीवाल, सुंदरकांड मंडल पुष्पा मालू तथा विश्व हिंदू परिषद गौ रक्षा विभाग जिला प्रमुख गोपाल कृष्ण दाधीच, अपना संस्थान के जगदीश चंद्र वैष्णव इत्यादि के सानिध्य में भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ प्रारंभ हुई. 


इस दौरान कबड्डी प्रतियोगिता की 30-30 गांव की 10 टीमों ने भाग लिया, जिसकी विजेता केली संच की टीम रही. विजेता टीम राज्य स्तर पर खेलने के लिए जाएगी तथा उपविजेता पारसोली की टीम रही. वहीं ऊंची कूद लंबी कूद और दौड़ 200 मीटर में भी केली के प्रतिभागियों ने बाजी मारी. प्रतिभागियों में खेलने के लिए उत्साह रहा तथा पूरे समय भारत माता की जय घोष के साथ खेल चलता रहा.


उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में संत दिग्विजय राम ने एकल अभियान के कार्य की सराहना करते हुए कहा कि धर्म आधारित शिक्षा से ही विश्वकल्याण होगा. वहीं ओमप्रकाश मानधना ने एकल के कार्य को यशस्वी बनाने के लिए हर संभव मदद की बात कही. दूसरे सत्र में पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता पर्यावरण गतिविधि के प्रांत सह संयोजक धर्मपाल गोयल ने की अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि भविष्य का भारत किस प्रकार का बनाना है, यह खेल के मैदान से सीखा जा सकता है. आज जो बच्चों में उत्साह और संस्कार दिख रहा है, उससे मन में विश्वास पैदा होता है कि भारत शीघ्र ही विश्व का सिरमौर होगा. उन्होंने माता-पिता से अपील की अपने बच्चों को तकनीकी शिक्षा तो दे मगर मैदान से दूरी न रखें. हमारे खेल हमारी संस्कृति का परिचायक है जैसे कबड्डी में जीवन की नश्वरता को बड़े ही जीवट तरीके से दिखाया जाता है. हमारे पुनर्जन्म में आस्था का विषय भी कबड्डी खेल में आता है. इसके उपरांत बच्चों को महाराणा प्रताप और शिवाजी का चित्र भेंट किया गया तथा अन्य प्रतिभागियों को ट्रॉफी स्मृति चिन्ह भेंट किये गए. 


Reporter - Deepak Vyas


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