Chandra Grahan Lunar Eclipse 2022 Ends: हजारेश्वर महादेव मंदिर के महंत चंद्र भारती महाराज ने बताया कि 2022 से पहले सूर्य और चंद्र ग्रहण का ऐसा योग 2012 और 1994 में बना था. 2012 में 13 नवंबर को दिवाली पर सूर्य ग्रहण और 28 नवंबर को देव दिवाली पर चंद्र ग्रहण हुआ था. 1994 में 3 नवंबर को दिवाली पर सूर्य ग्रहण और 18 नवंबर को देव दिवाली पर चंद्र ग्रहण हुए थे. अब ऐसा संयोग 18 साल बाद बनेगा. 2040 में 4 नवंबर को दिवाली पर आंशिक सूर्य ग्रहण (भारत में नहीं दिखेगा) और 18 नवंबर को देव दिवाली पर पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, यह ग्रहण भारत में भी दिखेगा. 


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चन्द्र ग्रहण के कारण सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाता है इसलिए सुबह 5 बजकर 12 मिनट से सुतक काल लग गया. इसमें भगवान की पूजा-पाठ वर्जित होती है, इसलिए सभी मंदिरों के पट इस अवधि में बंद रहे. इस दौरान कोई धार्मिक कार्य नहीं किया गया. महंत भारती ने कहा कि सूतक और ग्रहण ग्रहण के समय में पूजा-पाठ नहीं कर सकते, लेकिन मंत्र जप और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए.


ग्रहण के दौरान इसलिए कर दिए जाते हैं मंदिर के कपाट बंद
शास्त्रों में चंद्र ग्रहण से जुड़े कई नियमों का वर्णन किया गया है. मान्यता है कि पूजा-पाठ, भगवान की मूर्तियों का स्पर्श, ग्रहण के दौरान सोना इत्यादि कार्य वर्जित हैं. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं, वहीं घर में मौजूद पूजा स्थल को भी वस्त्र से अच्छी तरह ढक दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि किसी भी ग्रहण के दौरान असुरीय शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है और दैवीय शक्तियां कम हो जाती हैं इसलिए ग्रहण काल में मौन अवस्था में मंत्रों का उच्चारण किया जाता है और भगवान को ध्यान किया जाता है.


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वहीं खान-पान के लिए इसलिए मनाही होती है क्योंकि इस दौरान वातावरण में हानिकारक किरणों का रिसाव होता है. जिस वजह से खाना भी अशुद्ध हो जाता है. यही कारण है कि ग्रहण से पहले खाने में तुलसी या कुश डाल देने का सुझाव दिया जाता है.  इसके साथ ग्रहण के पूर्ण रूप से खत्म होने के बाद ही मन्दिर के कपाट खोले जाते हैं और मूर्तियों का शुद्धिकरण किया जाता है.


चंद्र ग्रहण समाप्त, कर ले अब ये कार्य
चंद्र ग्रहण के समाप्त होते ही सूतक भी खत्म हो जाता है.
ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान अवश्य करें, इसके बाद घर के हर कोने में गंगाजल का छिड़काव करें.  
धार्मिक मन है कि गंगाजल या किसी पवित्र नदी के जल का छिड़काव करने से ग्रहण से आई नकारात्मकता और इसके दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं. 
स्वयं स्नान करने के बाद देवी देवताओं को स्नान कराएं.  
अब भोजन या जो भी आपकी खाने पीने की चीजें हैं, उस पर गंगाजल छिड़कें. 
मंदिर अवश्य जाएं और जरूरतमंदों को कुछ वस्तुओं का दान कर पुण्य कमायें.


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Reporter-Deepak Vyas