चित्तौड़गढ़ में गौशाला की दशा देख भड़के कलेक्टर, गायों का पोस्टमार्टम कराने के आदेश
जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने गौशाला का जायजा लिया. उन्होंने गायों का पोस्टमार्टम कराने के भी निर्देश दिए, ताकि गौवंश के मरने के सही कारणों का पता लगाया जा सके.
Chittorgarh: पशुओं पर हो रही क्रूरता पर रोक के लिए पशु कल्याण बोर्ड मौजूद है, इसमें पशुओं पर होने वाली क्रूरता पर कार्रवाई का प्रावधान है. लेकिन गौशालाओं में दिन-ब-दिन गायों और नंदी की बिगड़ती हालतों पर लगता है कि पशु कल्याण बोर्ड भी जैसे गहरी नींद सो रहा है. चित्तौड़गढ़ जिले में जिला पशु क्रूरता निवारण समिति का गठन किया गया है, जिसके अध्यक्ष खुद जिला कलेक्टर हैं.
समिति के सदस्यों में पशु पालन विभाग के सहा निदेशक, वन विभाग से डीएफओ वाइल्ड लाइफ और नगर परिषद के साथ चार सदस्य भी मौजूद हैं. पशु क्रूरता निवारण समिति की पूर्व में एक विशेष बैठक का आयोजन 28 सितम्बर 2021 को जिला कलेक्टर चित्तौड़गढ़ के सभागार में किया गया था, जिसमें प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर एक गौ-नंदी गौशाला खोले जाने के प्रस्ताव का पास किया गया था, जिसके तहत प्रत्येक गौ-नंदी गौशाला को राज्य सरकार की ओर से एक करोड़ सत्तावन लाख रुपए की लागत का नब्बे प्रतिशत राशि का अनुदान दिया जाना तय था.
लाखों का बजट चला जाता था पानी में
चित्तौड़गढ़ जिले में अभी तक तो नगरपरिषद द्वारा आवारा पशुओं और आवारा सांड यानीकि नंदी को पकड़ कर हाईवे पर छोड़ दिया जाता था, जो वापस शहर की ओर आ जाते थे और उन्हें पकड़ने में नगर परिषद की ओर से खर्च किया गया लाखों रुपए का बजट भी पानी में चला जाता था. लेकिन जब से राजस्थान में गौ-नंदी योजना को राज्य सरकार ने लागू की है, तब से आवारा सांड को भी नंदी गौशाला में पालने की पहल का प्रयास देखा जा रहा है, लेकिन राज्य सरकार से अभी तक अनुदान ना मिलने के कारण ये नंदी वंश गौशाला संचालकों के लिए गले की हड्डी बनते नजर आ रहे हैं. नंदी गौशाला के अनुदान के नियमों के अनुसार नंदी गौशाला नई खोली गई होनी चाहिए और संस्था के पास कम से कम बीस बीघा जमीन होनी भी आवश्यक है साथ ही उस गौशाला में कम से कम 250 से 500 के लगभग नंदी होने का नियम तय किया गया है. इसलिए लगभग पहली बार चित्तौड़गढ़ के अभयपुर पंचायत के पचुंदल में एक गौशाला का हाल ही में आरंभ किया गया था, जिसमें गायों के अलावा भारी मात्रा में नंदी यानिकि आवारा सांडों को लाकर इकट्ठा किया गया था. इकट्ठा किए गए गौवंश की संख्या लगभग 1800 से 2000 के बीच थी, लेकिन सरकार से अनुदान मिलने की योजना पर अभी तक विफलता हाथ लगी है. गौशाला योजना को राज्य सरकार द्वारा धरातल पर लागू नहीं किए जाने के बाद नंदी गौशाला में गौवंश के लिए पर्याप्त पानी और चारें की व्यवस्था भी संचालकों द्वारा नहीं की जा सकी है. गौशाला में अचानक एक के बाद एक कई गायों और नंदी के आज्ञत कारणों से मरने की सूचना मिलने लगी, जिसकी भनक चित्तौड़गढ़ के कुछ संगठनों के पदाधिकारियों को मिलने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है. गायों के भूख-प्यास से मरने का वीडियो वायरल होने के बाद से अखबारों में चली खबरें और मामले के प्रकाशन के बाद स्थानीय प्रशासन सतर्क हुआ और रविवार को जिला कलेक्टर ने भी मौके का मुआयना कर आवश्यक दिशानिर्देश जारी किए. मृत- गौवंश का पोस्टमार्टम कराने के भी निर्देश प्रदान किए, ताकि गौवंश के मरने के सही कारणों का पता लगाया जा सकें.
संरक्षण में कोताही ना बरतें
चित्तौड़गढ़ जिले के अभयपुर ग्राम पंचायत में पचुंदल के समीप चतुर्भुज के खेड़ा स्थित श्रीकृष्ण गौशाला में कई गोवंश के मृत पाए जाने की घटना के बाद जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल रविवार 27 फरवरी 2022 को गौशाला पहुंचे. स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान तहसीलदार विपिन चौधरी और अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहें. जिला कलक्टर ने निर्देश दिए कि गोवंश के संरक्षण में कोई कोताही नहीं बरती जाए. जिला कलक्टर ने रोगग्रस्त और स्वस्थ गायों को अलग-अलग रखने और स्वस्थ गोवंश को अन्य गौशाला में शिफ्ट करने के निर्देश दिए. जिला कलक्टर ने पशुपालन विभाग को रोगग्रस्त गायों के उपचार का निर्देश दिया. उन्होंने गोवंश के चारा पानी की व्यवस्था सुचारु रूप से करने के भी निर्देश दिए.
चिकित्सकीय देखभाल की मांग
मामले में जिला प्रशासन की ओर से नियमानुसार कार्यवाही जारी है. गौरक्षक महेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया है कि गौशाला में क्षमता से कई गुना ज्यादा गायों को रखा गया है, जबकि उनके पानी और चारे की कोई व्यवस्था नहीं है. जिसकी वजह से एक माह में भारी में संख्या गायों की मृत्यु हो चुकी है. साथ ही समिति ने निरीक्षण के दौरान देखा कि गौशाला के पास ही जगह जगह गड्ढें कर पचासों गायों को दफनाया गया है, जो भूख प्यास का शिकार होकर मर गईं. उन्होंने भी आरोप लगाया कि गौशाला में गायों और नंदी के लिए उचित छाया, पानी और पर्याप्त चारे की व्यवस्था भी नहीं है. उन्होंने प्रशासन से मांग की गई है कि गायों को प्रशासन अपनी देखरेख में अन्य गौशालाओं में पहुंचाकर चिकित्सकीय देखभाल कराए. गायों के नाम का छ: सौ करोड़ रुपये राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष स्टाम्प ड्यूटी में गौ सेवा के नाम पर जनता से वसूला जा रहा है. फिर भी गायों को भूखा और प्यासा भटकना पड़ रहा है.
Reporter- Deepak Vyas
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