Chittorgarh: चित्तौड़गढ़ के प्रतापनगर स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत के मामले में देर रात को अस्पताल प्रबंधन की ओर से मृतका के परिजनों को नगद 11 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने के बाद मामले का निस्तारण हो सका.


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गौरतलब है कि मंगलवार को राशमी के चटावटी गांव की रहने वाली 35 साल की महिला रत्नी बाई की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया और अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया.


परिजनों का आरोप था कि रत्नी बाई को पथरी की शिकायत थी, जिसका ऑपरेशन करवाने अस्पताल अस्पताल लाए थे. डॉक्टर्स ने पथरी की बजाय बच्चेदानी का ऑपरेशन कर दिया था, जिससे महिला की मौत हो गई थी.


मृतका के पति हजारीलाल गाडरी ने बताया कि उसकी पत्नी रत्नी बाई को मंगलवार दोपहर 1 बजे अस्पताल में भर्ती करवाया था.शाम 4 बजे तीन डॉक्टर महिला को ऑपरेशन थियटर में ले गए, और डेढ़ घंटे बाद बाहर आकर बोले कि महिला की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई.


जानकारी में परिजनों को बच्चे दानी के ऑपरेशन की बात पता चली तो डॉक्टर अपने बयान से मुकर गए और बोले कि बच्चे दानी में पथरी होने की वजह से ऑपरेशन करना पड़ा. इस पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया. मामला बिगड़ता देख ऑपरेशन करने वाली दो महिला और एक पुरुष डॉक्टर मौके से फरार हो गए.


मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा


जिससे परिजनों का पारा और भी ज्यादा चढ़ गया और देखते ही देखते देर रात तक मृतका के गांव से बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच गए, और एक करोड़ रुपए मुआवजे की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया.


मोर्चरी में रखा है महिला का शव


हंगामे की सूचना पर सदर थाना अधिकारी हरेंद्र सिंह सौदा बड़ी संख्या में पुलिस लेकर अस्पताल पहुंचे, और दोनों पक्षों के बीच सुलह वार्ता के लिए समझाइश की गई. देर रात 12 बजे अस्पताल प्रबंधन की ओर से मृतका के परिजनों के बीच 11 लाख रुपए का चेक दिए जाने के बाद मामला शांत हुआ. फिलहाल मृतका का शव सांवलियाजी जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है, पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा.


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