Sujangarh: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह भारी ने सुजानगढ़ तहसील के खुड़ी गांव के सास-ससुर को बहू की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ ही हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने के जुर्म में 7 साल की अतिरिक्त सजा सुनाते हुए जुर्माना भी लगाया.


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2014 को बहु साबीरा की हत्या धारदार हथियार से गला रेतकर की थी
अपर लोक अभियोजक डॉ. करणीदान चारण ने बताया कि गांव खुड़ी में 12 जून 2014 को बहु साबीरा की हत्या धारदार हथियार से गला रेतकर की गई थी, जिस पर मृतका के पिता ने मुकदमा दर्ज करवाया था. इस मामले में आरोपी ससुर बाबू खां, ससुर सुन्नत बानो को दोषसिद्ध करार देते हुए आजीवन कारावास व 10 हजार के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है. हत्या के बाद साक्ष्य मिटाने का भी दोषी पाया गया.


अपर लोक अभियोजक डॉ. करणीदान चारण ने बताया कि प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 24 गवाहों के बयान दर्ज करवाये गये और 64 दस्तावेजों को एक्जीक्यूट करवाया गया है. वहीं प्रकरण में आरोपियों ने साक्ष्य मिटाकर आत्महत्या करने का रूप देने का भी प्रयास किया गया. लेकिन प्रकरण में अभियोजन पक्ष की मजबूत पैरवी की जिसके चलते आरोपी सलाखों तक पहुंचे.


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हत्या को आत्महत्या बताने की नाकाम कोशिश
अपर लोक अभियोजक डॉक्टर करणी दान चारण ने बहस के दौरान साबीरा का गला काटने को लेकर कई साक्ष्य कोर्ट में पेश किए. अभियुक्तों के वकील ने इसे आत्महत्या का मामला बताने का असफल प्रयास किया गया. उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि ऐसी चोट से आत्महत्या नहीं हो सकती. कोई भी इंसान अपना गला पूरी तरह से नहीं काट सकता, जबकि साबीरा का गला पूरी तरह से मणिबन्ध तक कटा हुआ था. गला काटकर आत्महत्या के प्रयास में आधा गला कटने के दौरान ही व्यक्ति बेहोश हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है. दोनों पक्षों की बहस सुनकर कोर्ट ने सजा सुनाई. परिवादी की ओर से पैरवी एडवोकेट गजेंद्र सिंह शेखावत ने की.


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