Churu News: ऊंटनी के दूध से बनेगी आईसक्रीम और चाय, जिला कलक्टर सुराणा की अनोखी पहल
Churu News: अब ऊंटनी के दूध से बनेगी आईसक्रीम,चाय और स्मूदी जैसी डिशेज. जी हां चूरू कलेक्टर अभिषेक सुराणा ने अनोखी पहल करते हुए जिले के ऊंटपालकों की आय बढ़ाने तथा उष्ट्र सरंक्षण की दिशा में प्रयास करते हुए नवाचार किया है.
Churu News: चूरू कलेक्टर अभिषेक सुराणा ने अनोखी पहल करते हुए जिले के ऊंटपालकों की आय बढ़ाने तथा उष्ट्र सरंक्षण की दिशा में प्रयास करते हुए नवाचार किया है. उन्होंने ऊंटनी के दूध से आईसक्रीम,चाय और स्मूदी जैसी डिशेज बनाने का विचार पेश किया, जिसके तहत पशुपालन विभाग और सरदारशहर डेयरी ऊंटपालकों के साथ मिलकर यह काम करेंगे. राजस्थान का यह पहला जिला है जिसमें इस अनूठी पहल का शुभारंभ किया जा रहा है.
यह कोई अचरज की बात नहीं कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माना जाने वाला ऊंटनी का दूध और उससे बने उत्पाद आईसक्रीम, चाय-कॉफी, स्मूदी और दही आसानी से चूरू में ही उपलब्ध हो जाएंगे. रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले राज्य पशु ऊंट के संरक्षण के लिए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की पहल पर जिले में विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है. पशुपालन विभाग और सरदारशहर डेयरी की ओर से इस पर काम किया जा रहा है.
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ ओमप्रकाश ने बताया, प्राचीन समय से ही देश में ऊंट का उपयोग खेती और भार ढोने के काम में प्रमुखता से किया जाता रहा है. लेकिन वर्तमान में मशीनीकरण ने ऊंट की उपयोगिता को कम किया है और ऊष्ट्रपालकों के लिए ऊंट को रख पाना एक चुनौती बन गया है. इसे देखते हुए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने तथा ऊंट पालकों की आय बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर काम करने के निर्देश दिए हैं.
इसी सिलसिले में जिला कलेक्टर अभिषेक सुराणा की अध्यक्षता में आज सरदारशहर के क़ृषि विज्ञान केंद्र में डॉ वी के सैनी के निर्देशन में ऊंटपालकों की कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें ऊंटपालकों को ऊंटनी के दूध के रखरखाव तथा इससे बनने वाले उत्पादों को बनाने व उसके विक्रय के बारे में जानकारी दी गई. ऊंटपालक संवाद कार्यक्रम में चूरू जिला कलेक्टर अभिषेक सुराणा ने ऊंट पालको किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि ऊंटनी का दूध पौष्टिक व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है.
दूध व इससे बने उत्पादों का उपयोग जन स्वास्थ्य के लिए भी काफी कारगर होता है. ऊंटनी के दूध से दही जमना मुश्किल होता है, लेकिन नई तकनीक का उपयोग कर दही जमा लिया जाता है तो वह बहुत पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है. किसानों को दही जमाने की तकनीक बताई जाएगी. विभिन्न शोध के अनुसार ऊंटनी के दूध से रोगों की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. कोई अचरज की बात नहीं कि आने वाले दिनों में स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन माना जाने वाला ऊंटनी का दूध और उससे बने उत्पाद आईसक्रीम, चाय-कॉफी, स्मूदी और दही आसानी से चूरू में ही उपलब्ध हो जाएं.
उन्होंने बताया, प्राचीन समय से ही देश में ऊंट का उपयोग खेती और भार ढोने के काम में प्रमुखता से किया जाता रहा है लेकिन वर्तमान में मशीनीकरण ने ऊंट की उपयोगिता को कम किया है और ऊष्ट्रपालकों के लिए ऊंट को रख पाना एक चुनौती बन गया है. इसे देखते हुए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने ऊंट पालन को प्रोत्साहन देने तथा ऊंट पालकों की आय बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर काम करने के निर्देश दिए हैं.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए बीकानेर ऊंट अनुसुधान केंद्र के डॉ काशीनाथ ने किसानों से कहा कि यह के दूध का सेवन करने से शरीर को बहुत ही जबरदस्त फायदे है. उन्होंने कहा कि आम जिन्दगी में गाय भेंस के दूध का सेवन किया जाता है, लेकिन उठनी के दूध का सेवन बहुत ही कम लोगों ने किया होगा. उठनी का दूध सभी जानवरों के दूध से ताकतवर होता है. इसलिए इसे सफेद सोना कहा जाता है.