Sardarshahar: रात में गोवंशों की सेवा के लिए निकलते है यह योद्धा, लोग बोले- गायों के मसीहा है
Sardarshahar Lumpy Virus: राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में लंपी वायरस गोवंश पर कहर बरपा रहा है. लंपी वायरस के चलते हजारों की तादाद में गायों की मौत हो चुकी है. ऐसे में सरदारशहर के तीन युवा भाइयों ने गोवंश को बचाने की पहल की और बढ़ते-बढ़ते यह कारवां 40 से ज्यादा युवाओं तक पहुंच गया है.
Lumpy Disease In Sardarshahar: बदलते वक्त के साथ-साथ युवा वर्ग की दिनचर्या भी बदल रही है. आज के युवा अपना समय सोशल साइट चलाते हुए अपने फोन के साथ बिताते हैं या फिर नाइट में पार्टी करते हुए दिखाई देते हैं. इसके विपरीत सरदारशहर के कुछ युवाओं ने अभिनव उदाहरण पेश किया है.
पिछले कुछ वक्त से राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में लंपी वायरस गोवंश पर कहर बरपा रहा है. लंपी वायरस के चलते हजारों की तादाद में गायों की मौत हो चुकी है, जबकि अभी भी लंपी वायरस बेकाबू होकर गोवंश की जिंदगी निगल रहा है. ऐसे में सरदारशहर के तीन युवा भाइयों ने गोवंश को बचाने की पहल की और बढ़ते-बढ़ते यह कारवां 40 से ज्यादा युवाओं तक पहुंच गया है.
दरअसल सरदारशहर की सत्तू कॉलोनी में रहने वाले विष्णु स्वामी की गाय की मृत्यु लंपी वायरस के चलते 25 दिन पूर्व हो गई थी, जिसके बाद विष्णु ने अपने भाइयों के साथ गोवंश को बचाने के लिए कुछ करने की अपनी इच्छा जाहिर की, जिस पर दोनों भाइयों ने अपनी सहमति दे दी. ऐसे में इन भाइयों को 11 प्रकार की जड़ी बूटियों से गायों के लिए बनने वाली रोटियों का पता चला.
11 प्रकार की औषधियों से बनने वाली रोटियों का पता चलने पर विष्णु ने अपने भाइयों के साथ मिलकर अपने स्तर पर गायों को रोटी खिलाने का फैसला किया और उसी दिन से गायों को रोटी खिलाने का काम शुरू हो गया. तब से अब तक लगातार धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और तीनों भाइयों की गाय के प्रति भक्ति और समर्पण की भावना को देखते हुए और युवा इनके साथ जुड़ गए. बढ़ी हुई युवाओं की संख्या को देखते हुए इन तीनों भाइयों ने इस ग्रुप का नाम युवा गोभक्त दल दे दिया.
इन युवाओं द्वारा निस्वार्थ भाव से की जा रही गायों की सेवा को देखकर अब पूरी सत्तू कॉलोनी के निवासी गायों को बचाने में इनका सहयोग कर रहे है. सरदारशहर के हर वार्ड हर गली हर मोहल्ले में इनके द्वारा गोवंश को औषधियों से युक्त रोटियां दी जा रही है और इन रोटियों का असर भी देखने को मिला है. इन रोटियों से गाय ठीक होती हुई दिखाई दे रही है.
सत्तू कॉलोनी में रहने वाले 28 वर्षीय विष्णु को अपनी गाय पायल से बहुत प्रेम था. पायल गाय का दूध, दही, घी खाकर पले बड़े विष्णु ने लंपी वायरस के चलते अपनी पायल को तड़प-तड़पकर दम तोड़ते हुए देखकर मन व्यथित हो गया. हालांकि लंपी वायरस की चपेट में आने के बाद विष्णु ने पायल का खूब इलाज कराया लेकिन फिर भी विष्णु अपनी गाय को बचा नहीं सके.
विष्णु ने पायल गाय की मौत के बाद उसकी शवयात्रा निकाली और पायल गाय की याद में अपने घर की जमीन में समाधि बनवा दी. वहीं इससे भी विष्णु का मन नहीं भरा तो विष्णु ने अन्य गायों के लिए कुछ करने की मन में ठानी, जिसके बाद विष्णु ने गायों के लिए रात्रि को स्पेशल जड़ी बूटियों से बनी हुई रोटी देने का काम शुरू किया, जो अब भी जारी है.
विष्णु स्वामी ने बताया कि 11 प्रकार की जड़ी बूटियों से बनी हुई गाय की एक खुराक में दो रोटियां 3 दिन तक लगातार गायों को दी जाती है. 3 दिन तक एक ही रूट पर गायों को रोटियां दी जाती है जिससे कोई गाय वंचित ना रह जाए और यह रूट 3 दिन तक रहता है. जिसके बाद इन रोटियां का गायों पर असर होता है. इन गायों पर रोटियों के असर को देखते हुए बाहर से भी लोग अब उनके पास आकर रोटियां ले जाते हैं. 3 दिन का रूट पूरा होने के बाद रूट बदल दिया जाता है, ऐसे करके लगभग पूरे सरदारशहर को इन युवा गोभक्त दल द्वारा कवर कर लिया गया है.
इन 11 जड़ी बूटियां से बनाई जाती है रोटियां
लंपी वायरस पीड़ित गोवंश को दी जा रही रोटियों में 11 प्रकार की जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिनमें मुख्य रूप से सनाय, मरेठी, चिरायता, अडूसा, आंवला, अजवाइन, हींग, कालाजीरी, काला नमक, सरकोफरोल वेट, बाजरी और गेहूं आटा आदि शामिल हैं. दो रोटी पर करीब 30 रुपयों का खर्चा आता हैं. प्रतिदिन इनके द्वारा 800 के करीब रोटियां गोवंश को दी जाती है.
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गोवंश के लिए युवाओं द्वारा किए जा रहे कार्य की अब शहर भर में चर्चाएं हो रही है. उनके द्वारा शाम 7 बजे से लेकर रात को 12 बजे तक गायों को रोटियां दी जा रही है. जिसकी हर कोई प्रशंसा कर रहा है और इनके इस नेक काम में सत्तू कॉलोनी वासी भी भरपूर सहयोग कर रहे हैं. वाकई में इन युवाओं के काम को देख कर लगता है कि आज भी हमारे संस्कार जिंदा है. इन युवाओं को हर कोई सलाम कर रहा है. इन युवाओं के कार्य को हर कोई सराह रहा है. तीन भाइयों से शुरू हुआ नेकी का सिलसिला अब एक बड़ा कारवां बन गया है.
Reporter: Gopal Kanwar
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