Rajasthan  news : चूरू जिले के रतनगनगर में जन्में पंडित राधाकृष्ण चतुर्वेदी का नाम आज भी प्रशानिक सेवाएं और समाज सेवा में सम्मान के साथ लिया जाता है. पंडित राधाकृष्ण चतुर्वेदी बीकानेर संभाग के प्रथम आईएएस थे. उस जमाने में उन्होंने ने कर्म क्षेत्र ही नहीं धर्म क्षेत्र और समाज सेवा के क्षेत्र में जो कार्य किए उन्हें आज भी भुलाया नहीं जा सकता. उनके जरिए  किये गए कार्य जनमानस के जहन में सम्मान के साथ विधमान है.


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पंडित आरके चतुर्वेदी अभावों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी कर संभाग के प्रथम आईएएस बने, जो आज के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. पंडित राधाकृष्ण चतुर्वेदी ने चूरु जिला या बीकानेर ही नही अपितु पूरे प्रदेश में अपनी कार्यकुशलता का परचम लहराया.


उन्हीं की प्रेरणा से उनके पोत्र अखिलेश चतुर्वेदी भी आज उनके जरिए किये गए कार्यो को बखूबी आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अखिलेश चतुर्वेदी अपने दादा के विचारों और पद चिन्ह पर चलकर उन्हीं की तरह समाज सेवा और शिक्षा एवं खेल जगत में अपनी अहम भूमिका निभा रहे  हैं. उन्होंने अपने दादा की पुण्यतिथि पर उनकी जन्मस्थली रतननगर पहुंच कर उन्हें श्रध्दा सुमन अर्पित किए. इस दौरान रतनगनगर सहित आस पास क्षेत्र के अनेको गणमान्य लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया.  रतनगनगर कि के मध्य लगी स्वर्गीय पंडित राधाकृष्ण चतुर्वेदी की प्रतिमा के समक्ष सभी गणमान्य लोग उनको पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. इस दौरान उनके पोत्र अखिलेश चतुर्वेदी खेल टूर्नामेंट सहित शिक्षा जगत से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन भी किया.


पंडित राधाकृष्ण चतुर्वेदी का जीवन परिचय


10 अक्टूबर 1910 को रतननगर में जन्में पं. राधाकृष्ण चतुर्वेदी ने गांव के संघर्षपूर्ण जीवन को जीते हुए पैदल चलकर रामगढ़ शेखावाटी से प्राथमिकत शिक्षा प्राप्त की. संस्कृत की शिक्षा पूर्ण करने के बाद  वे कलकत्ता चले गए. वहां से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद  बीकानेर आए और डूंगर कॉलेस से इन्टर पास किया. बीकानेर स्टेट की तरफ से मनोनीत छात्र के रूप में बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से बीए,एलएलबी की पढाई की.


बीकानेर स्टेट में नौकरी 
 बीकानेर स्टेट में नौकरी प्रारंभ हुई और शीघ्र ही वहां के तत्कालीन महाराजा सार्दुलसिंह जी ने उनकी कार्यकुशलता को सराहते हुए उन्हें इंस्पेक्टर जनरल कस्टम्स एंड एक्साईज बनाया. उत्कृष्ट सेवाओं के चलते इन्हें डाइरेक्टर सिविल सप्लाईज का महकमा भी संभला दिया. इनके अनुरोध पर महाराज सार्दुलसिंह रतननगर में पधारे और इस कारण रतननगर में बिजली आ गई और देपालसर स्टेशन से गांव तक सडक बन गई. राजस्थान एकीकरण के बाद इनका चयन आईएएस सेवाओं में हुआ और वे श्रीगंगानगर कलक्टर, रेवेन्यू सेक्रेटरी, मेडिकल एवं हैल्थ सेक्रेटरी जैसे पदों पर रहते हुए रेवेन्यू बोर्ड चौयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए.


बापू बाजार, नेहरू बाजार  बनाया
जयपुर शहर में 1953 में हुई सफाई कर्मियों की हड़ताल में पूरा जयपुर सड़ांध मारने लगा था, तब सीएम ने इन्हें नगर निगम प्रशासक बनाया और इन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था से एक सप्ताह में शहर को सुंदर बना दिया. उनके समय में ही बापू बाजार, नेहरू बाजार बने थे.


रतननगर को किया था विकसित
अभावों और कठिनाइयों से जूझकर आईएएस बनने वाले चतुर्वेदी अपनी मातृभूमि जन्म भूमि के प्रति समर्पित थे. मातृभूमि जन्मभूमि का ऋण उतारते हुऐ  उन्होंने रतननगर कस्बे में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, स्थापित करवाए. औषधालय सहित कई सुविधा प्रदान करवाई. इसके अलावा रतननगर के सैंकड़ों व्यक्तियों को नौकरी दिलाई. इनके जरिए रतननगर कस्बे के विकास कार्यों को आज भी याद किया जाता है.इनके सुपौत्र अखिलेश चतुर्वेदी आज इन्हीं के पदचिन्हों पर चलकर समाजसेवा में अग्रणी है.


 एक सितंबर को मनाई जाती है डॉ राधाकृष्ण चतुर्वेदी की पुण्यतिथि
ज्ञात रहे कि रेवेन्यू बोर्ड के पूर्व चैयरमैन डॉ राधाकृष्ण चतुर्वेदी की पुण्यतिथि प्रत्येक वर्ष एक सितंबर को मनाई जाती है. इसके तहत रतननगर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है तथा बस स्टैंड के पास चौराहे पर लगी उनकी मूर्ति पर कस्बे के गणमान्यजनो द्वारा माल्यार्पण व श्रद्धा सुमन अर्पित किये जाते है.


इसके अलावा भामाशाह और  वरिष्ठ समाजसेवी अखिलेश चतुर्वेदी ने बताया कि अपने दादा आईएएस अधिकारी रहे स्व. आरके चतुर्वेदी की यादों को संजोए रखने की दृष्टि से उनके उनके जन्मदिन पर विभिन्न कार्यक्रमों का भी अयोजन करते रहते हैं.


आईएएस आरके चतुर्वेदी के पोते अखिलेश चतुर्वेदी ने उनकी याद में आरके चतुर्वेदी मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट कराने की पहल की है. कस्बे में संभ्रांत लोग इसकी चर्चा करके इसे सराहनीय पहल बताया है.भामाशाह व वरिष्ठ समाजसेवी अखिलेश चतुर्वेदी का मानना है कि आयोजित टूॅर्नामेंटों से खिलाड़ियों को क्रिकेट में अपनी योग्यता निखारने का पूरा मौका मिलेगा. तथा आगामी भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजन कई होंगे.


परपौत्र भी जुटे हैं सेवा में


इस मुहिम में पोत्र अखिलेश चतुर्वेदी के पुत्र डॉक्टर अक्षत चतुर्वेदी व आयुश चतुर्वेदी भी अपने परदादा की मुहिम को आगे बढ़ाने में अपने पिता का सहयोग करते हैं. डॉक्टर अक्षत पैसे से डॉक्टर होकर भी समाज सेवा करने में कोई कमी नही छोड़ते, वो कहते हैं रुपये कमाना बड़ी बात नही समाज में योगदान देना बहुत बड़ी बात है.


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