Churu: मुख्य प्रवेश द्वार के नाम से प्रसिद्ध चूरू का उसका कला और वहां की बुलंदियों के लिए महत्त्वपूर्ण है. यहां की भव्य हवेलियों ने अपनी खूबसूरती से देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित किया है. चूरू की इस महल में स्थापत्य कला और चित्रों की खूबी के लिए मालजी के कमरे की प्रशंसा होती है, लेकिन कुछ लोगों को यह नहीं पता कि इस कमरे का निर्माण तीन बार हुआ.


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पहले बार बनाया गया, लेकिन यह डिजाइन अनुपयुक्त साबित होने पर मालचंद कोठारी ने इसे दो बार तोड़ा. तीसरी बार, 1930 में, इटालियन शैली में इसे पुनः निर्मित किया गया, जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है.


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ओमप्रकाश बताते हैं कि इस कमरे की लागत 27000 रुपये थी. इस कमरे के नीचे स्वर्ण मंडित हॉल में धनाडय वर्ग की शादियों में नृत्य होता था. कमरे में बने तालाब में इत्र डलवाकर लोग स्नान करते थे और उसके बाद उन्हें मालजी द्वारा गरम जलेबी और दूध का नाश्ता कराया जाता था.


मनोरंजन के लिए में मालजी का कमरा बनवाया था


नक्काशी सुंदरता में चार चांद लगा देती है. ओमप्रकाश ने बताया कि सेठ मालचंद कोठारी ने मनोरंजन के लिए सन् 1930 में मालजी का कमरा बनवाया था. इस हवेली के निर्माण में करीब सौ साल पुरानी चुनी गई थी. इसकी छत ढोले की तरह है और इसमें इटालियन कलाकारी, भित्ति चित्र और नक्काशी ने इसे वास्तविक सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं. आजकल, यह हवेली जिले का पहला हेरिटेज होटल है, जहां देशी और विदेशी पर्यटक शाही और लग्जरी सुविधाओं का आनंद उठा सकते हैं.