दौसा में महिला नरेगाकर्मियों ने गुप्तेश्वर सर्किल पर लगाया जाम, गैरहाजिरी लगाने को लेकर विवाद
महिला नरेगा कर्मियों का कहना है मेट द्वारा उन्हें समय से पहले बुलाया जाता है जो संभव नहीं है. उन्हें घर का कामकाज भी निपटाना होता है, ऐसे में वह नियत समय पर कार्य स्थल पर पहुंच गई लेकिन उसके बावजूद भी मेट ने उनकी गैर हाजरी लगा दी. जबकि मैट द्वारा कई ऐसी नरेगाकर्मी है जो काम पर भी नहीं आती और उनकी हाजिरी कर दी जाती है और उन्हें भुगतान भी दे दिया जाता है.
Dausa News: नगर परिषद क्षेत्र में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत चल रहे नरेगा कार्य की महिला नरेगा कर्मियों ने मेट पर भेदभाव का आरोप लगाते हंगामा कर दिया और शहर के लालसोट रोड पर स्थित गुप्तेश्वर सर्किल पर जाम लगा दिया. सूचना पर यातायात पुलिस और कोतवाली थाना पुलिस मौके पर पहुंची. महिला नरेगा कर्मियों से समझाइश की लेकिन उन्होंने नगर परिषद के उच्च अधिकारियों को मौके पर बुलाने मांग को लेकर जाम नहीं खोला.
इस दौरान वाहनों की सड़क पर लंबी कतार लग गई पुलिस की सूचना पर दौसा नगर परिषद के आयुक्त विश्वामित्र मीणा और सचिव मौके पर पहुंचे जहां महिला नरेगा कर्मियों ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई.
महिला नरेगा कर्मियों का कहना है मेट द्वारा उन्हें समय से पहले बुलाया जाता है जो संभव नहीं है. उन्हें घर का कामकाज भी निपटाना होता है, ऐसे में वह नियत समय पर कार्य स्थल पर पहुंच गई लेकिन उसके बावजूद भी मेट ने उनकी गैर हाजरी लगा दी. जबकि मैट द्वारा कई ऐसी नरेगाकर्मी है जो काम पर भी नहीं आती और उनकी हाजिरी कर दी जाती है और उन्हें भुगतान भी दे दिया जाता है.
ऐसे में मेट की कार्यशैली को लेकर जाम लगाने पहुंची महिला नरेगा कर्मी काफी नाराज नजर आई और उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की मजदूरों ने फावड़े परात के साथ जमकर प्रदर्शन किया इसके बाद आयुक्त विश्वामित्र मीणा ने जांच का जांच का भरोसा दिया तब जाकर पुलिस की समझाइश से महिलाओं ने जाम खोला और यातायात पुलिस ने यातायात को सुचारू करवाया.
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स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले ऐसी ही योजना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा यह सोचकर शहरों में शुरू की गई कि शहर के लोगों को भी रोजगार मिल सके लेकिन प्रॉपर मॉनिटरिंग के अभाव में यह योजना भी खटाई में नजर आ रही है.
नरेगा कर्मियों का मेट की कार्यशैली को लेकर आरोप लगाना यह साबित कर रहा है कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को प्रॉपर नहीं मिल पा रहा. मेट्रो की धांधली का जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में और शहरों में इस तरह के आरोप मेटो के ऊपर लग चुके हैं उसके बावजूद भी जिम्मेदार अधिकारी इसे ठीक करने में नाकाम साबित हो रहे हैं.