Dholpur News: बाड़ी शहर के प्रमुख सामान्य अस्पताल में वर्तमान में बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है. इसकी मुख्य वजह है मौसमी बीमारियों का विस्तार, जिसके कारण अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ हो गई है. इसके परिणामस्वरूप, भर्ती मरीजों की संख्या में वृद्धि होने से कुछ अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था मुश्किल हो रही है. विशेष रूप से, शिशु वार्ड में स्थिति गंभीर है, जहां छोटे बच्चे अकेले-अकेले बेड पर अपने परिवार के साथ उपचार के लिए ठीक से सुविधा नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं. इस स्थिति को लेकर अस्पताल प्रशासन जगह की कमी को मुख्य कारण बता रहा है, जबकि कुछ अस्पतालों में वरिष्ठ और फिजिशियन चिकित्सकों की कमी के कारण अधिकांश मरीजों को रेफ़र किया जा रहा है.


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सोमवार और मंगलवार को अस्पताल में आउटडोर में लगभग 1600 मरीजों का इलाज किया गया, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या ढाई सौ से अधिक थी. इसमें शिशु वार्ड में 130 मरीज भर्ती थे, जबकि उनके लिए केवल 20 बेड थे. इस प्रकार, भर्ती मरीजों का उपचार किस प्रकार किया गया, यह वार्ड के स्टाफ और अस्पताल प्रशासन को भी पता नहीं था.


अस्पताल में भर्ती मरीजों के कुछ नाम कमला देवी, वैजयंती, गुड्डी बाई, रामचरण आदि थे, जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें उपचार के लिए व्यस्त डॉक्टरों की कमी के कारण अधिकतर समय इंतजार करना पड़ा. अस्पताल के एक वार्ड में 100 से अधिक मरीज भर्ती थे, जबकि नर्सिंग स्टाफ की संख्या केवल दो थी, जो केवल दो परिचारकों से सहायता ले सकते थे. इस दौरान, अगर कोई आपातकालीन मामला आता या कोई घायल होता, तो सामान्य मरीजों को और अधिक इंतजार करना पड़ता.


अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर ने बताया कि 200 बेड की स्वीकृति है, लेकिन केवल डेढ़ सौ बेड थे. शिशु, जनरल, महिला, प्रसूता, आईसीयू, लेबर रूम, और एसएनसीयू में बेड थे, लेकिन सामान बीमारियों के लिए केवल 55 बेड थे, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या ढाई सौ के करीब थी. इसके अलावा, अस्पताल में 43 चिकित्सकों के पद थे, लेकिन कई पद खाली थे, जिसके कारण केवल 18 चिकित्सक उपलब्ध थे. अस्पताल के अन्य कार्यों में व्यस्त चिकित्सकों के अलावा, इमरजेंसी में भी केवल दो से तीन चिकित्सक ही उपलब्ध थे.


इस समस्या को लेकर अस्पताल के उच्च अधिकारियों को सूचित किया गया है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. राजस्थान में सरकार परिवर्तन होने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है, जिसकी वजह से लोगों की उम्मीदें भी टूट गई हैं. ऐसे में, अस्पताल में केवल सामान्य बीमारियों का ही इलाज हो रहा है, जबकि अन्य गंभीर मामलों को रेफ़र किया जा रहा है.


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