Dungarpur: किसानों को नहीं मिल रहा सब्सिडी वाला गेंहू बीज,अभी तक 65 फीसदी ही हुई बुवाई
डूंगरपुर जिले में वर्ष 2022-23 में रबी की फसल की बुवाई का कार्य अनुकूल मौसम होने के बावजूद गेंहू का अनुदानित बीज व खाद काश्तकारों को उपलब्ध नहीं हो पाने से पूरा रहा है.
Dungarpur: डूंगरपुर जिले में रबी की फसल के तहत लक्ष्य के मुकाबले में अभी तक सिर्फ 65 फीसदी ही गेंहू बुवाई हो पाई है. किसानों को समय पर गेंहू के अनुदानित बीज एवं खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते गेंहू की बुवाई कम हो पाई है. इधर क्रय-विक्रय सहकारी समितियों में सब्सिडी वाला बीज नहीं मिलने पर अब किसान निजी बीज दुकानों से महंगे दामों पर बीज खरीदने पर मजबूर हैं .
डूंगरपुर जिले में वर्ष 2022-23 में रबी की फसल की बुवाई का कार्य अनुकूल मौसम होने के बावजूद गेंहू का अनुदानित बीज व खाद काश्तकारों को उपलब्ध नहीं हो पाने से पूरा रहा है. डूंगरपुर जिले में कृषि विभाग की ओर से रबी में गेंहू की फसल के लिए 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया लेकिन अब तक महज 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई ही हो पाई है जो केवल 65 फीसदी ही है. इसका प्रमुख कारण सरकार की ओर से क्रय विक्रय सहकारी समितियों में अनुदानित गेंहू की उपलब्धता नहीं होना है. डूंगरपुर जिले में गेंहू के अनुदानित बीज की 10 हजार क्विंटल की मांग है लेकिन जिले में मात्र 1900 क्विंटल बीज ही अब तक आवंटित हो पाया है.
काश्तकार गेंहू के बीज को लेकर क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे है लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है. ऐसे में किसानों को मजबूरी में निजी बीज की दुकानों पर जाकर महंगे दामों पर बीज खरीदना पड़ रहा है.
खाद की भी कमी
डूंगरपुर जिले में बीज की तरह खाद की भी यही स्थिति है . जिले में यूरिया, डीएपी, एसएसपी खाद का भी टोटा बना हुआ है . जिले में रबी फसल को लेकर 15 हजार मेट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता है लेकिन वर्तमान में महज 800 मेट्रिक टन ही यूरिया उपलब्ध है. इसी तरह डीएपी की दो हजार मेट्रिक टन की आवश्यकता है लेकिन जिले में वर्तमान में महज 50 मेट्रिक टन ही उपलब्ध है.
बहराल डूंगरपुर जिले में गेंहू के बीज की कमी के चलते बुवाई में देरी हो रही है. जिससे किसान परेशान है . हालांकि कृषि विभाग की ओर से कृषि आयुक्तालय को बीज व खाद की आपूर्ति के लिए लिखा गया है. जनप्रतिनिधियों की ओर से भी सरकार एवं कृषि आयुक्तालय को पत्र लिखे गए हैं. बावजूद इसके मिले में अनुदानित बीज एवं खाद की आपूर्ति नहीं होने से काश्तकार परेशान है .
Reporter- Akhilesh Sharma
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