Sagwara, Dungarpur: डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखंड क्षेत्र की वगेरी पंचायत में माही नदी पर बन रहे 22 करोड़ के एनीकट निर्माण में ठेकेदार व सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का बड़ा खेल सामने आया है. अधिकारियों की मिलीभगत के चलते ठेकेदार नदी किनारे अवैध रूप से क्रेशर प्लांट संचालन कर रहा है. जबकि ठेकेदार द्वारा क्रेशर संचालन के लिए न तो राजस्व विभाग से कोई अनुमति ली गई है और न ही पॉल्यूशन कंट्रोल विभाग से इसकी अनुमति ली है. 


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अवैध रूप से इस क्रेशर संचालन को लेकर राजस्व विभाग, सिंचाई विभाग और खनन विभाग के अधिकारी भी अनजान बने हुए हैं. अवैध क्रेशर प्लांट के संचालन से सरकार को राजस्व का चुना लग रहा है.


दरअसल डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा उपखंड क्षेत्र की वगेरी पंचायत क्षेत्र में माही नदी में बारिश के पानी को रोकने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से करीब 22 करोड़ के एनीकट का निर्माण कराया जा रहा है. एनीकट निर्माण में वहां से निकलने वाले पत्थर को पीसकर गिट्टी बनायी जा रही है. जिसका उपयोग एनीकट निर्माण में किया जा रहा है. इसी पत्थर की गिट्टी बनाने को लेकर नदी के पास ही ठेकेदार की ओर से अवैध रूप से एक क्रेशर प्लांट लगाया गया है.


जानकारी के अनुसार इस प्लांट को लगाने से पहले उक्त भूमि का वाणिज्य रूपांतरण करवाना जरूरी होता है. फिर इसके बाद क्रेशर संचालन की स्वीकृति विभिन्न विभागों से स्वीकृति ली जाती है. लेकिन एनीकट निर्माण करने वाली फर्म ने इसकी स्वीकृति स्थानीय पटवारी, राजस्व विभाग, खनन विभाग से नहीं ली है न ही इसकी पर्यावरण स्वीकृति मिली है. इसके बाद भी धड़ल्ले से यहां पत्थर से गिट्टी बनाने का काम किया जा रहा है है. जिससे सरकार को राजस्व का चुना लग रहा है.


सिंचाई विभाग जानकार भी अनजान


इधर इस मामले में जब सागवाड़ा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से बात की गई तो विभाग के अधिकारी क्रेशर प्लांट के संचालन के मामले में पल्ला झाड़ते नजर आये. विभाग के सहायक अभियंता मोहित पाटीदार ने कहा कि विभाग का काम एनिकट का निर्माण करवाना है. क्रेशर के मामले में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. जबकि सिंचाई विभाग के अधिकारी प्रतिदिन मौके पर जाकर मॉनिटरिंग करते हैं. इधर इस मामले में जब उपखंड अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने मामले का पता चलने पर क्रेशर प्लांट को बंद करवा दिया है. वहीं मामले की जांच करवाते हुए नियमानुसार कार्रवाई की बात कही है.


बहराल मीडिया के जरिये मामला सामने आने के बाद अब सागवाड़ा एसडीएम के निर्देश पर क्रेशर प्लांट को बंद करवा दिया है. लेकिन इस पूरे मामले में राजस्व विभाग, खनिज विभाग और सिंचाई विभाग की कार्यशेली पर कई सवाल खड़े हो रहे है. वही सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग की भी पोल खुल गई है. अब देखने वाली बात होगी की मामले में क्या कार्रवाई आगे की जाती है.


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